दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने अल फ़लाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर आरोपों में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं. यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) की शिकायत के आधार पर शुरू की गई है, जिसमें संस्थान की गतिविधियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए थे.
जानकारी के मुताबिक, पहली एफआईआर में यूनिवर्सिटी पर चीटिंग (धोखाधड़ी) का आरोप दर्ज किया गया है, जबकि दूसरी एफआईआर में फॉर्जरी और दस्तावेजों की जालसाजी से जुड़ी धाराएं लगाई गई हैं. UGC ने शिकायत में कहा है कि यूनिवर्सिटी द्वारा कुछ प्रक्रियाओं और मानकों का पालन नहीं किया गया, जिसके चलते छात्रों के भविष्य पर भी असर पड़ सकता है.
एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद क्राइम ब्रांच ने यूनिवर्सिटी को एक औपचारिक नोटिस भेजा है. पुलिस ने संस्थान से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और रिकॉर्ड मुहैया कराने को कहा है ताकि जांच को आगे बढ़ाया जा सके. दिल्ली धमाके से जुड़ा संदिग्ध आतंकी उमर इसी यूनिवर्सिटी के अस्पताल में काम करता था. इसी क्रम में शनिवार को क्राइम ब्रांच की टीम ओखला स्थित यूनिवर्सिटी के मुख्यालय पहुंची और वहां प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ की.
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी मुख्य केंद्र बनी हुई है. यूनिवर्सिटी के बिल्डिंग नंबर 17 के कमरे नंबर 13 को जांचकर्ताओं ने आतंकियों का मेन बेस बताया है, जहां आतंकियों ने विस्फोटक जुटाने और धमाके की साजिश रचने की योजना बनाई. इस कमरे में आरोपी डॉक्टर उमर उन नबी समेत कई प्रोफेसर शामिल थे. इस धमाके में 13 लोगों की मौत हुई थी.
नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है क्योंकि उसने अपनी वेबसाइट पर गलत और फर्जी मान्यता का दावा किया था. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट भी जांच के चलते बंद कर दी गई है. पुलिस और एजेंसियां यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल रिकॉर्ड की भी जांच कर रही हैं, क्योंकि फंडिंग के भी आतंक से जुड़े होने के शक हैं.
जांच में यह भी पता चला है कि यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर आतंकियों से जुड़े थे और यूपी कश्मीरी मूल के कई डॉक्टर इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं. छात्र भी डर के कारण यूनिवर्सिटी छोड़ रहे हैं. जांच टीमें आतंक के पूरे नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं.
अरविंद ओझा / श्रेया चटर्जी