अयोध्या फैसले के खिलाफ दिसंबर में रिव्यू पिटीशन दायर करेगा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

अयोध्या फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करेगा. जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम दिसंबर के पहले हफ्ते में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे.

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जफरयाब जिलानी (फाइल फोटो-PTI) जफरयाब जिलानी (फाइल फोटो-PTI)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 27 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:48 PM IST

  • बोर्ड ने कहा- फैसले को आखिरी नहीं मानते
  • शरीयत के खिलाफ है दूसरी जगह जमीन लेना

अयोध्या फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करेगा. जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम दिसंबर के पहले हफ्ते में रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे. फैसला आने के बाद ही जफरयाब जिलानी ने कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. हम इस फैसले को आखिरी फैसला नहीं मानते हैं.

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जफरयाब जिलानी ने कहा था कि मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दूसरी जगह लेने का प्रस्ताव शरीयत के खिलाफ है. इस्लामी शरीयत इसकी इजाजत नहीं देती. वक्फ एक्ट भी यही कहता है. सुप्रीम कोर्ट मस्जिद की जमीन को बदल नहीं सकता. अनुच्छेद 142 के मुताबिक वह किसी संस्थान के खिलाफ नहीं जा सकता.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ट्विटर पर लिखा, 'हम अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिसंबर के पहले हफ्ते में बाबरी केस में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं. मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का निर्णय कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा. सभी मुस्लिम संगठन हमारे साथ हैं.'

अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(आईएमपीएलबी) दिसंबर के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि याचिका आठ दिसंबर से पहले दाखिल की जानी है. हालांकि अभी इसकी कोई तिथि तय नहीं है.

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इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले के बारे में जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के फैसले से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता है. चाहे वह राजी हो या न हो. अगर एक भी पक्षकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं तो भारतीय संविधान उसे पूरा अधिकार देता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करना चाहता तो न करे. सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा. सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं.

आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल करे या न करे, यह उसका अपना फैसला है. कोर्ट ने बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी है. हमारा एजेंडा स्पष्ट है. हमने पहले भी कहा था कि इस मामले में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जो भी स्टैंड होगा, शिया पर्सनल लॉ बोर्ड उसका साथ देगा.

ज्ञात हो कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि अयोध्या पर उसे सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है और पुनर्विचार याचिका नहीं दायर की जाएगी. 26 नवंबर को लखनफ में हुई बैठक में बहुमत से इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई है. हालांकि बैठक में पांच एकड़ भूमि पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. इस पर राय बनाने के लिए सदस्यों ने और वक्त मांगा है.

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पक्षकारों के पास 9 दिसंबर तक रिव्यू याचिका फाइल करने का समय है. इसलिए शिया वक्फ बोर्ड की ओर से 6 या 7 दिसंबर को रिविव्यू पिटीशन फाइल की जा सकती है.

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