अयोध्या मामले में पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड मंगलवार को लखनऊ में बैठक करने जा रहा है. यह बैठक काफी अहम है क्योंकि आज ये तय होगा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन के फैसेल के साथ जाएगा या नहीं. साथ ही ये भी तय होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो 5 एकड़ जमीन मस्जिद के एवज में सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने के आदेश दिए हैं, उस जमीन को लिया जाए या नहीं.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी पहले ही अपनी राय रख चुके हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मान लेना चाहिए. लेकिन जफर फारूखी हमेशा यह कहते नजर आए कि आखिरी फैसला सुन्नी वक्फ बोर्ड की मीटिंग में तय होगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के रिव्यू पिटिशन में जाने के बाद अब सुन्नी वक्फ बोर्ड भी दो खेमों में बंट चुका है. एक खेमा खुलकर रिव्यू पिटिशन में जाने के पक्ष में है, जबकि दूसरे कई लोग अब इस मामले को आगे ले जाने के पक्ष में नहीं हैं.
हालांकि जफर फारूकी की बात से अब्दुल रज्जाक खान और दूसरे सदस्य इत्तेफाक नहीं रखते. इनके मुताबिक सुन्नी वक्फ बोर्ड को रिव्यू में जरूर जाना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई विरोधाभास हैं. साथ ही पांच एकड़ जमीन भी नहीं ली जानी चाहिए क्योंकि मस्जिद के एवज में दूसरी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती. मस्जिद हमेशा के लिए होती है.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य और समाजवादी पार्टी के विधायक अबरार अहमद का मानना है कि रिव्यू में जाने से कोई फायदा नहीं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दे दिया है जो चीज हमारी थी वह चीज तोड़कर दूसरे को दे दी गई. अब तो रिव्यू में जाना बेवकूफ बनने जैसा है. उन्होंने कहा कि रिव्यू में नहीं जाना चाहिए क्योंकि इसका कोई फायदा नहीं.
बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का ऐलान किया है. साथ ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन न लेने का निर्णय किया है.
कुमार अभिषेक