पंजाब सरकार ने नशे और मानसिक स्वास्थ्य की जटिल लड़ाई को लेकर ऐसी पहल की है, जो पूरे देश के लिए मिसाल बन सकती है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने “लीडरशिप इन मेंटल हेल्थ फेलोशिप प्रोग्राम” लॉन्च करके साफ किया कि ‘युद्ध नशा विरुद्ध’ अब केवल नारा नहीं, बल्कि एक ज़मीनी आंदोलन है - हर परिवार की सुरक्षा और समाज के भविष्य का सवाल.
यह देश की पहली सरकारी मानसिक स्वास्थ्य फैलोशिप है, जिसका मकसद सिर्फ इलाज नहीं बल्कि समाज के मनोबल को मजबूत करना है. यह फेलोशिप दो साल की अवधि की होगी, और इसमें चुने गए युवा विशेषज्ञों को पंजाब के ग्रामीण और शहरी इलाकों में भेजा जाएगा, जहां वे मानसिक स्वास्थ्य, नशा रोकथाम और पुनर्वास जैसे विषयों पर सक्रिय रूप से काम करेंगे.
इस पूरी पहल की खास बात यह है कि इसे एम्स मोहाली और टीआईएसएस (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) मुंबई के साथ साझेदारी में शुरू किया गया है. कार्यक्रम के तहत 35 युवा फेलो चुने जाएंगे, जिनकी पृष्ठभूमि साइकोलॉजी या सोशल वर्क में होगी.
ये पेशेवर पंजाब के 23 जिलों में स्कूलों, कॉलेजों, कम्युनिटी सेंटर्स और रिहैब संस्थानों के साथ मिलकर एक नया मॉडल लागू करेंगे. जो रोकथाम, उपचार और पुनर्वास, तीनों को एक साथ जोड़ता है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान की सोच साफ है - नशे से लड़ाई सिर्फ पुलिस या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं हो सकती. समाज के भीतर मानसिक मजबूती और सकारात्मकता लानी होगी. यही वजह है कि इस फैलोशिप के तहत फेलोज़ को टीआईएसएस मुंबई से खास ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्हें मेंटरशिप, नेतृत्व कौशल और स्थानीय समुदायों के साथ काम करने की व्यावहारिक समझ विकसित करने का मौका मिलेगा.
हर फेलो को 60,000 रुपये मासिक सम्मानजनक सैलरी दी जाएगी ताकि वे पूरी लगन और ऊर्जा से इस मिशन पर काम कर सकें. यह सिर्फ एक सरकारी परियोजना नहीं, बल्कि पंजाब में नई सामाजिक चेतना की शुरुआत है - वो चेतना जो समझती है कि नशे से लड़ाई मन से ही शुरू होती है.
यह भी पढ़ें: गोल्डी बराड़ ने इंदरप्रीत पैरी की हत्या पर किसे दी धमकी? देखें पंजाब आजतक
यह कार्यक्रम पंजाब सरकार के ‘युद्ध नशा विरुद्ध’ अभियान का अहम स्तंभ है. सालों से जिस समस्या ने पंजाब की नौजवानी को खोखला किया, अब उससे मुकाबला शिक्षा, परामर्श और कम्युनिटी पार्टिसिपेशन के ज़रिए किया जाएगा.
असल फोकस यह है कि पहले चरण में ही युवाओं को नशे से दूर रखा जाए, जो पहले से प्रभावित हैं उन्हें इलाज और काउंसलिंग मिले, और जो ठीक हो चुके हैं, उनका पुनर्वास हो सके.
भगवंत मान ने इस लॉन्च के दौरान कहा कि “अगर किसी समाज का मन कमजोर हो जाए, तो विकास ठहर जाता है. हम पंजाब के मन को फिर से खड़ा कर रहे हैं - मजबूत, आत्मविश्वासी और सुरक्षित.”
यह पहल पूरे देश के लिए एक ब्लूप्रिंट बन सकती है. क्योंकि भारत में मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, जबकि असली बदलाव वहीं से शुरू होता है जहां इंसान की सोच बदलती है.
फेलोशिप के लिए आवेदन 7 दिसंबर तक खुले हैं और इच्छुक उम्मीदवार टीआईएसएस की आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं. सरकार चाहती है कि जो भी युवा इस क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखते हैं, वो इस पहल का हिस्सा बनें और पंजाब के भविष्य को सही दिशा दें.
असल में यह फेलोशिप एक सामाजिक निवेश है - ऐसा निवेश जहां सरकार पैसों से ज़्यादा भरोसा और उम्मीद लगा रही है. ऐसा भविष्य जहां हर मां-बाप को अपने बच्चे पर गर्व हो, न कि डर। जहां स्कूलों के बाहर नशे के जाल नहीं, बल्कि हेल्प डेस्क होंगे। और जहां युवाओं के लिए सफलता की पहचान उनके करियर, न कि नशे की झुर्रियों से होगी.
यह वही पंजाब है जिसकी झलक भगवंत मान बार-बार अपने भाषणों में दिखाते रहे हैं - एक ऐसा पंजाब जो नशामुक्त, शिक्षित और आत्मनिर्भर हो. इस प्रोग्राम के ज़रिए उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि इरादा साफ हो तो बदलाव सिर्फ फाइलों में नहीं, समाज के दिलों में उतरता है.
aajtak.in