सतलज नदी की कहानी, जिसकी बाढ़ में बहकर 10 दिन में तीन भारतीय पहुंच चुके हैं पाकिस्तान 

सतलज में आई बाढ़ में पंजाब के कसूर जिले गंडा वाला सिंह से 50 वर्षीय शख्स बहकर पाकिस्तान के लाहौर पहुंच गया था. जोकि गूंगा-बहरा था. इसके अलावा लुधियाना के रहने वाले दो लोग भी सतलज नदी के तेज बहाव में बहकर पाकिस्तान पहुंच गए.

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सतलज नदी में बहे लोग (फाइल फोटो) सतलज नदी में बहे लोग (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

उत्तर भारत में हुई भारी बारिश के बाद नदियों में बाढ़ आ गई थी, जिसमें कई लोगों के बहने की खबरें भी सामने आई थीं. सतलज में आई बाढ़ में पंजाब से भी तीन लोग बह गए थे, जोकि पाकिस्तान पहुंच गए. इनमें एक कसूर जिले का रहने वाला था जबकि दो अन्य लुधियाना के रहने वाले थे. 

सतलज में आई बाढ़ में पंजाब के कसूर जिले गंडा वाला सिंह से 50 वर्षीय शख्स बहकर पाकिस्तान के लाहौर पहुंच गया था. जोकि गूंगा-बहरा था. वह केवल सांकेतिक भाषा ही समझता था. उसके हाथ में बने टैटू को देखकर पहचान हुई कि शख्स हिंदू है और बाढ़ का पानी उसे बहाकर यहां ले आया है. 

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इसके अलावा लुधियाना के रहने वाले दो लोग सतलज नदी के तेज बहाव में बहकर पाकिस्तान पहुंच गए, जहां पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. वह दोनों लुधियाना के सिधवां बेट के रहने वाले थे. पंजाब पुलिस ने इसकी जानकारी बीएसएफ को दी, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजर्स और बीएसएफ के बीच फ्लैग मीटिंग हुई.  

सतलज नदी की कहानी 

>सतलुज नदी को ‘सतद्री’ के नाम से भी जाना जाता है. यह सिंधु नदी की सबसे पूर्वी सहायक नदी है.  

>सतलुज नदी उन पांच नदियों में सबसे लंबी है, जो उत्तरी भारत और पाकिस्तान के पंजाब के ऐतिहासिक क्षेत्र से होकर बहती हैं.  

>सिंधु की सहायक नदियों में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज हैं.  

>सतलज का उद्गम सिंधु नदी के स्रोत के 80 किमी दूर पश्चिमी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास राकसताल झील से होता है. 

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>सिंधु की तरह यह तिब्बत-हिमाचल प्रदेश सीमा पर शिपकी-ला दर्रे तक एक उत्तर-पश्चिमी मार्ग को अपनाती है. यह शिवालिक शृंखला को काटती हुई पंजाब में प्रवेश करती है.  

>पंजाब के मैदान में प्रवेश करने से पहले यह ‘नैना देवी धार’ में एक गॉर्ज का निर्माण करती है जहां प्रसिद्ध भाखड़ा बांध का निर्माण किया गया है. 

>अपनी आगे की यात्रा के दौरान यह रावी, चिनाब और झेलम नदियों के साथ सामूहिक जलधारा के रूप में मिठानकोट से कुछ किलोमीटर ऊपर सिंधु नदी में मिल जाती है.  

>हिमाचल प्रदेश के शिमला और कुल्लू जिलों में लुहरी स्टेज-I जलविद्युत परियोजना सतलज नदी पर स्थित है.  

सतलज नदी के किनारे बसे शहर 

सतलज नदी के किनारे बसे शहरों में भारत के पंजाब प्रांत के फिरोजपुर, नांगल, फिल्लौर, रूपनगर, शाहकोट हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश का किन्नौर भी सतलज के किनारे बसा है. सतलज नदी अमृतसर में हरि के पाटन में ब्यास नदी के साथ मिलती है. इसके अलावा पाकिस्तान का बहावलपुर भी सतलज किनारे स्थित है. 

 

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