'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है' यह पंक्तियां चंडीगढ़ की विद्या पर सटीक बैठती हैं. क्योंकि विद्या अपनी शारीरिक अक्षमता को अपने सपनों के आड़े नहीं आने दे रही हैं. शारीरिक विकलांगता होने ने बावजूद विद्या फूड डिलीवरी जैसा मुश्लिक भरा काम करती हैं. उनके इस काम ने उन्हें चंडीगढ़ में 'डिलवरी गर्ल' के नाम से मशहूर कर दिया है.
30 साल की विद्या कहती हैं कि 15 साल पहले एक सड़क हादसे में उनको हुई स्पाइनल इंजरी के कारण उनके शरीर के निचले हिस्से ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने लगभग 11 साल बेड पर गुजारे. लेकिन अपनी इस कमजोरी को अपने सपनों के आगे नहीं आना दिया.
विद्या बताती हैं कि जैसे ही मैंने नौकरी शुरू करने की बात अपने माता पिता को बताई तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. वह खुश हैं कि आज मैं काम कर रही हूं. जब मैं अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटी पर फूड डिलीवरी करने जाती हूं तो लोग मुझे सपोर्ट करते हैं. कई लोग तो रुक कर मुझसे बात करते हैं.
साइकिल पर बिगड़ा था बैलेंस
विद्या बताती हैं कि, साल 2007 में जब वो अपने गांव में थीं तो उस दौरान वे एक पुल पर साइकिल चलाते वक्त पुल से नीचे गिर गई थीं. इस घटना में मुझे स्पाइल इंजरी हुई थी. जिसके चलते मेरी कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था. घटना के बाद लगभग 11 साल तक मैं बेड पर रही. इलाज के लिए माता-पिता ने खूब दौड़ धूप की. लेकिन डाक्टरों से पता चला कि अब मैं कभी भी खड़ी नहीं हो पाऊंगी. वक्त के साथ उनकी हिम्मत ने भी जवाब दे दिया और मेरे लिए मेरा बिस्तर ही मेरी दुनिया हो गई.
रिश्तेदार कहते थे जहर दे दो
विद्या बताती हैं कि कई लोग और मेरे रिश्तेदार मेरा हाल चाल जानने के लिए आते थे. वो मेरे मुंह पर ही मां-बाप से कह देते थे कि इसे जहर दे दो, कम से कम इसे इस तकलीफ से तो छुटकारा मिलेगा. बिस्तर पर लेटे-लेट मेरी पीठ पर भी घाव हो जाते थे. मैं खुद कई बार ईश्वर से कहती थी कि मुझे मौत दे दो.
चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैव सेंटर ने की मदद
विद्या कहती हैं कि चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैव सेंटर ने मेरी बहुत मदद की. आज जिस कंडीशन में हूं वो चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैव सेंटर की देन है. सेंटर ने मेरे परिवार से संपर्क किया. उसके बाद मैं साल वर्ष 2017 में मैं चंडीगढ़ आ गई. यहां स्पोर्ट्स ज्वाइन किया और फिर बास्केट बॉल, स्विमिंग, लान टेनिस और टेबल टेनिस खेलना शुरू किया.
टेबल टेनिस की नेशनल खिलाड़ी
विद्या कहती हैं कि उन्होंने स्कूबा डाइविंग और फैशन शो में भी हिस्सा लिया है. इसके अलावा वे अपने सेंटर में योगा सिखाती हैं. विद्या कहती हैं कि वे टेबल टेनिस की नेशनल खिलाड़ी हैं. लेकिन कोचिंग की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इस खेल में आगे नहीं बढ़ पा रही हैं. उन्होंने व्हीलचेयर ओपन नेशनल टेबल टेनिस टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते हैं.
ललित शर्मा