लोकसभा सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा,'18वीं लोकसभा नए संकल्पों के साथ काम करेगी.' उन्होंने कहा,'यह नई उमंग, नए उत्साह और नई गति को प्राप्त करने का अवसर है. विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार और गौरवमय तरीके से संपन्न हुआ है. यह 140 करोड़ भारतवासियों के लिए गर्व की बात है.'
पीएम मोदी ने आगे कहा,'. विकसित भारत 2047 का लक्ष्य लेकर 18वीं लोकसभा के सत्र का आरंभ हो रहा है. आजादी के बाद दूसरी बार किसी सरकार को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर मिला है. ये अवसर 60 साल बाद आया है. इसके लिए जनता का आभार.'
'संविधान को नकार दिया गया था'
प्रधानमंत्री ने कहा,'भारत की नई पीढ़ी ये कभी नहीं भूलेगी की भारत के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था. देश को जेल खाना बना दिया गया था. लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच लिया गया था. हम सभी संकल्प लेते हैं कि भारत में फिर कभी कोई ऐसी हिम्मत नहीं करेगा, जो 50 साल पहले किया गया था. 18वीं लोकसभा भारत के अमृतकाल की है, इसका गठन भी एक शुभ संकेत है.'
25 जून ना भूलने वाला दिन
पीएम ने कहा,'कल 25 जून है, जो लोग इस देश की संविधान की गरिमा के लिए समर्पित हैं, भारत के लोकतंत्र में निष्ठा रखते हैं, उनके लिए 25 जून ना भूलने वाला दिन है. कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र में जो धब्बा लगा था, उसके 50 साल हो रहे हैं. 18वीं लोकसभा में हमारे लिए खुशी की बात है. युवा सांसदों की संख्या अच्छी है.'
'18' का सात्विक मूल्य बताया
उन्होंने यह भी कहा कि जब हम 18 की बात करते हैं, तो क्या आप जानते हैं कि 18 अंक का सात्विक मूल्य क्या है. गीता के भी 18 आध्याय हैं. हमारे यहां पुराणों और उप पुराणों की संख्या भी 18 है. इनका पूर्णांक 9 है और 9 पूर्णता की गारंटी देता है.
पीयूष मिश्रा