कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भीतर शक्ति-संघर्ष अब खुलकर सामने आ गया है. मुख्यमंत्री बदलाव की अटकलों के बीच सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच जारी खींचतान ने गुरुवार को एक बार फिर नया मोड़ ले लिया. दोनों नेताओं के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट ने संकेत दे दिया है कि सरकार के आधे कार्यकाल के बाद कथित पावर शेयरिंग फॉर्मूला को लेकर जैसे-जैसे चर्चाएं तेज हो रही हैं, वैसे-वैसे अंदरूनी तनाव भी सतह पर आता जा रहा है.
दरअसल, राजनीतिक हलकों में अनुमान लगाया जा रहा था कि शिवकुमार के हालिया संकेतों पर कोई सीधा जवाब नहीं आएगा, लेकिन सीएम सिद्धारमैया ने एक्स पर एक विस्तृत पोस्ट कर न सिर्फ अपनी उपलब्धियों को सामने रखा, बल्कि बिना नाम लिए साफ संदेश भी दे दिया कि सरकार वादों पर नहीं, काम के दम पर चल रही है.
सिद्धारमैया ने गिनवाई सरकार की उपलब्धि
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक्स पोस्ट में कहा कि शब्द तभी शक्ति रखते हैं जब वे लोगों की जिंदगी बेहतर बनाएं. उन्होंने कि सरकार की शक्ति योजना के तहत अब तक महिलाओं को 600 करोड़ से अधिक मुफ्त बस यात्राएं मिल चुकी हैं. सरकार बनने के पहले ही महीने से कांग्रेस ने अपने वादों को धरातल पर उतारने का काम किया है, सिर्फ बातों में नहीं. उन्होंने प्रमुख योजनाओं के ज़रिए हुए बदलाव का जिक्र करते हुए बताया-
-शक्ति योजना: 600 करोड़ से ज्यादा मुफ्त यात्राओं के साथ महिलाओं की गरिमा और आवाजाही को नई ताकत.
-गृहलक्ष्मी योजना: 1.24 करोड़ महिला मुखिया परिवारों को आर्थिक सशक्तिकरण.
-युवा निधि: 3 लाख से अधिक युवाओं को आर्थिक सुरक्षा और उम्मीद.
-अन्न भाग्य 2.0: 4.08 करोड़ लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा.
-गृह ज्योति: 1.64 करोड़ परिवारों को मुफ्त बिजली का लाभ.
'जनता का जनादेश एक पल के लिए नहीं, बल्कि...'
सिद्धारमैया ने कहा, "अपने पहले कार्यकाल (2013–18) में उन्होंने 165 में से 157 वादे पूरे किए थे, यानी 95% से अधिक. इस बार भी 593 में से 243 से अधिक वादों को पूरा किया जा चुका है और बाकी सभी वादों को भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ निभाया जाएगा. जनता का जनादेश एक पल के लिए नहीं, बल्कि पूरे पांच साल की जिम्मेदारी है. कांग्रेस पार्टी दया, निरंतरता और साहस के साथ जो कहती है, वह पूरा करती है. शब्द तब तक शक्ति नहीं है जब तक वह लोगों के लिए दुनिया को बेहतर न बना दे.”
डीके शिवकुमार ने 'शब्द की ताकत' का किया था जिक्र
उनका यह पोस्ट राजनीतिक रूप से डीके शिवकुमार के उस पोस्ट के जवाब में माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने शब्द की ताकत और वादे निभाने की राजनीति का हवाला दिया था. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने बिना लाग-लपेट कहा था, “शब्द की शक्ति ही विश्व की शक्ति है. दुनिया में सबसे बड़ी ताकत है अपना वादा निभाना. चाहे कोई जज हो, राष्ट्रपति हो या वे खुद, हर किसी को कहा हुआ निभाना चाहिए, क्योंकि असली ताकत उसी में है."
उन्होंने एक हल्का व्यंग्य करते हुए कहा था कि पीछे खड़े लोग शायद कुर्सी की कीमत नहीं समझते. उस पद की, उस जिम्मेदारी की, जो कुर्सी के साथ आती है. वरिष्ठ नेता जहां बैठे हुए थे, वहीं कुछ लोग खाली कुर्सी होते हुए भी बैठने से इनकार कर खड़े रहे. अगर आप यूं ही खड़े रहेंगे, तो न कोई कुर्सी मिलेगी, न आगे बढ़ पाएंगे; पीछे ही रह जाएंगे.
आधे कार्यकाल पर बढ़ा दबाव, चर्चाओं से पार्टी असहज
बता दें कि इसी साल 20 नवंबर को कांग्रेस सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूरा किया है. इसी समय से यह चर्चा फिर गर्म है कि 2023 में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच कोई अनौपचारिक पावर शेयरिंग फॉर्मूला तय हुआ था, जिसमें 2.5-2.5 साल के रोटेशन की बात कही जाती है. हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने कभी भी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की, लेकिन राज्य राजनीति में यह मुद्दा लगातार सुलगता रहा है. अब जैसे ही सरकार अपने मध्य बिंदु पर पहुंची, शिवकुमार समर्थक नेता बदलाव की मांग उठाने लगे, जबकि सिद्धारमैया गारंटी योजनाओं की सफलता और स्थिर नेतृत्व के नाम पर अपना दावा पेश कर रहे हैं.
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