बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: 28 साल का इंतजार, 600 दस्तावेज, 351 गवाहियों के बाद फैसले की घड़ी

28 साल तक चले बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई में 351 लोगों ने गवाही दी, 600 दस्तावेज पेश किए गए. इतने लंबे समय तक चले इस केस के 17 आरोपियों की मौत मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही हो गई.

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बाबरी विध्वंस केस में कल आएगा फैसला (इंडिया टुडे फाइल फोटो) बाबरी विध्वंस केस में कल आएगा फैसला (इंडिया टुडे फाइल फोटो)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 29 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST
  • 28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में फैसला
  • आडवाणी, जोशी, उमा भारती हैं आरोपी
  • सीबीआई की विशेष अदालत सुनाएगी फैसला

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में 28 साल के लंबे इंतजार के बाद लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत कल यानी की 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाने जा रही है.  

इस केस में राममंदिर आंदोलन से जुड़े बड़े नाम और बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितंभरा और राम विलास वेदांती समेत कुल 32 लोग आरोपी हैं. अदालत ने इन सभी आरोपियों को सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. 

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28 साल तक चले इस मामले की सुनवाई में 351 लोगों ने गवाही दी, 600 दस्तावेज पेश किए गए. इतने लंबे समय तक चले इस केस के 17 आरोपियों की मौत मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही हो गई. अब बुधवार को सीबीआई के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव बाकी बचे 32 लोगों पर अपना फैसला सुनाएंगे. 

17 आरोपियों की हो चुकी है मौत 

इस मामले में कुल 49 एफआईआर दर्ज की गई थी. पहली एफआईआर फैजाबाद के थाना में राम जन्मभूमि के अशोक प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने दर्ज की थी जबकि दूसरी FIR एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज की थी. इसे ही आधार बनाकर बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और दूसरे 49 हिंदूवादी नेताओं पर मुकदमे चले. इनमें से 17 आरोपियों की मौत हो चुकी है. जबकि 32 के खिलाफ कल अदालत फैसला सुनाएगी. 

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इस मामले में अलग-अलग तारीखों पर कुल 47 पत्रकारों ने भी एफआईआर दर्ज कराए थे. ये FIR 6 दिसंबर को 1992 को ढांचा गिरने के दिन पत्रकारों से हुई मारपीट कैमरा छीनने, तोड़ने आदि से जुड़े थे. 

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में पहला आरोपपत्र 5 अक्टूबर 1993 को 49 अभियुक्तों के खिलाफ सीबीआई ने दाखिल किया था. इनमें से 13 अभियुक्तों को विशेष अदालत ने आरोप के स्तर पर ही डिस्चार्ज कर दिया था, सीबीआई ने इस फैसले को पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. 

25 साल तक नहीं लगाई गई साजिश की धारा

25 साल तक इस मामले में आईपीसी की धारा 120 बी यानी कि साजिश रचने की धारा नहीं लगाई गई थी. लेकिन 30 मई 2017 को सीबीआई की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और विष्णु हरि डालमिया पर आईपीसी की धारा 120 बी के तहत साजिश रचने का आरोप भी शामिल किया था.

 नृत्य गोपाल दास नहीं रहेंगे मौजूद

रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को सुनवाई के दौरान बाबरी विध्वंस केस में आरोपी नृत्य गोपाल दास अदालत में मौजूद नहीं रहेंगे. नृत्य गोपाल दास कुछ समय पहले से कोरोना से पीड़ित थे, इसके बाद वह बीमार चल रहे हैं. नृत्य गोपाल दास श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं. ये जानकारी नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने आजतक को दी है. 

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