संघ के 100 साल पूरे होने के मौके पर मोहन भागवत ने नागपुर में संबोधन दिया. भागवत ने यहां कहा कि पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में भी जनजीवन में उथल-पुथल का अनुभव किया गया है. प्रशासन के जनता से दूर होने और उनकी अवस्थाओं को ध्यान में रखकर नीतियां न बनने से असंतोष बढ़ता है. हिंसक आंदोलनों को डॉ. अंबेडकर साहब ने 'ग्रामर ऑफ अनारकी' कहा है, जिससे परिवर्तन नहीं आता बल्कि अराजकता फैलती है.