आरएसएस के सर कार्यवाह ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' शब्दों को हटाने पर विचार करने की बात कही. इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया और विपक्ष ने आरएसएस तथा बीजेपी पर निशाना साधा.