'सेना में स्थायी कमीशन पाने का बराबर मौका नहीं मिल रहा...', महिला अफसरों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि सर्वोच्च अदालत के आदेशों के बावजूद उन्हें सेना में स्थायी कमीशन का बराबर मौका नहीं मिल रहा. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ‘नितिशा जजमेंट’ का लाभ सभी महिला अधिकारियों को नहीं दे रही? इस पर ASG ने कहा कि लाभ तभी दिया जा सकता है जब महिला अधिकारी खुद स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करें.

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ASG ने कहा कि 2012 से पहले महिलाओं को एक्स-सर्विसमैन का दर्जा तक नहीं मिलता था (Photo: PTI) ASG ने कहा कि 2012 से पहले महिलाओं को एक्स-सर्विसमैन का दर्जा तक नहीं मिलता था (Photo: PTI)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

महिला अधिकारियों ने अदालत का रुख करते हुए दावा किया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद उन्हें सेना में स्थायी कमीशन (Permanent Commission) पाने का बराबर मौका नहीं मिल रहा है.

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने अदालत को बताया कि सेना की 10 शाखाओं का पूरा डेटा दिया गया है, जिनमें महिलाओं को कमीशन की अनुमति है, इनमें ये ब्योरा सामने रखा गया है कि कितनी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिला है और कितनों ने इसके लिए आवेदन किया है.

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ASG ने बताया कि कुल पुरुष अधिकारियों में से लगभग 93% ने स्थायी कमीशन के लिए आवेदन किया, जबकि महिला अधिकारियों में यह आंकड़ा 79% रहा. शुरुआती 30 बैचों में 50-90% पुरुष अधिकारियों ने स्थायी कमीशन के लिए आवेदन किया था, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा 50% से भी कम था. हाल के वर्षों में पुरुष और महिला अधिकारियों का यह अनुपात लगभग बराबर होकर 60% तक पहुंच गया है. इसके बावजूद स्थायी कमीशन पाने वालों में पुरुषों का अनुपात 54% और महिलाओं का 42% रहा.

सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ‘नितिशा जजमेंट’ का लाभ सभी महिला अधिकारियों को नहीं दे रही? इस पर ASG ने कहा कि लाभ तभी दिया जा सकता है जब महिला अधिकारी खुद स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करें. ASG ने यह भी कहा कि अगर नए बैच की महिला अधिकारियों को एकमुश्त छूट (one-time dispensation) दी जाती है, तो ये पुरुष अधिकारियों के लिए अनुचित होगा. उन्होंने बताया कि अब तक 237 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिल चुका है.

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भेदभाव पर बहस

ASG ने कहा कि महिला अधिकारियों को पहले उनकी ACR (Annual Confidential Report) में नकारात्मक अंक मिलते थे, जिसके चलते उन्हें स्थायी कमीशन की सिफारिशें नहीं मिल पाती थीं, लेकिन अब यह व्यवस्था बदल गई है और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव नहीं हो रहा है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर पहले भेदभाव नहीं किया गया होता, तो और भी ज्यादा योग्य महिला अधिकारी स्थायी कमीशन पा सकती थीं.

सरकार का पक्ष

ASG ने दलील दी कि सेना में चयन का आधार केवल योग्यता होना चाहिए, चाहे उम्मीदवार पुरुष हो या महिला. भर्ती के स्तर पर महिलाओं के लिए अलग व्यवस्था है, लेकिन उसके बाद चयन प्रक्रिया समान होनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि 2012 से पहले महिलाओं को ‘एक्स-सर्विसमैन’ का दर्जा तक नहीं मिलता था, लेकिन अब नीतियों में बदलाव आया है और महिला अधिकारियों को बराबरी का अवसर दिया जा रहा है.

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