गृहमंत्री अमित शाह ने जनगणना को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि अगली बार इस काम को तकनीक से जोड़ दिया जाएगा. गृहमंत्री का कहना था कि अबकी ई-जनगणना की जाएगी जो कि शत-प्रतिशत सही होगी. उन्होंने कहा कि साल 2024 तक हर जन्म और मृत्यु को जनगणना से जोड़ दिया जाएगा. इससे जनगणना का काम ऑटोमैटिक तरीके से अपडेट हो जाएगा. शाह ने कहा कि ई-जनगणना से अगले 25 सालों तक नीतियां बनाई जा सकेंगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा जब ये सॉफ्टवेयर लॉन्च होगा तो वो और उनका परिवार पहला होगा जो इसमें जानकारी अपडेट करेगा.
हर 10 साल में होती है जनगणना
भारत में अभी तक हर 10 सालों में जनगणना की जाती रही है. आखिरी बार 2011 में इस काम को पूरे देश में किया गया था.इस हिसाब से साल 2021 में जनगणना होनी चाहिए थी लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते इसे शुरू नहीं किया जा किया सका है. भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में जनगणना का काम कभी आसान नहीं रहा है. इसमें कई विभाग के सरकारी कर्मचारियों की मदद ली जाती है. सरकारी अध्यापकों की भूमिका इस काम में सबसे अहम होती है. उस पर भी कई गलतियां बाद में सामने आती रही हैं.
कठिन प्रक्रिया, करोड़ों का खर्चा
जनगणना की प्रक्रिया में काफी जटिल होने के साथ ही इसमें कई बार गलतफहमी में लोग सही जानकारी दर्ज नहीं कराते हैं.हाल ही में सीएए और एनआरसी को लेकर हुए विवाद का असर जनगणना की प्रक्रिया पर पड़ सकता है. वहीं जिस तरह से अब तक जनगणना होती आई है उस हिसाब से इस अभियान को पूरा करने में हजारों करोड़ रुपये का खर्च आता है.
जनगणना को लेकर सबसे बड़ा विवाद
जातिगत जनगणना देश में एक बड़ा विवाद है. कई राजनीतिक दलों के लिए यह वोट का हथियार है तो कुछ दलों के लिए गले की फांस. जनगणना के आंकड़ों पर गौर करें तो देश के 70 से 75 फीसदी परिवार ग्रामीण इलाकों से आते हैं और उनमें आधे से ज्यादा गरीब हैं. लेकिन इनमें कौन-कौन सी जातियां और कौन सी जाति के लोग कितनी संख्या में हैं इसको जारी करने और न करने के पीछे अलग-अलग तर्क हैं.
ई-जनगणना में क्या होगा
जैसा की गृहमंत्री अमित शाह ने बताया कि इसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक की तारीख जनगणना से जोड़ दी जाएगी. बच्चे जन्म के साथ ही तारीख जनगणना कार्यालय में दर्ज हो जाएगी और उसके बाद 18 साल का होने पर उसे ऑटोमैटिकली वोट का अधिकार मिल जाएगा और मृत्यु के साथ ही प्रोफाइल को बंद कर दिया जाएगा. साल 2024 तक हर जन्म और मृत्यु का पंजीकरण ई-सेंसस में कर दिया जाएगा. यानी इसके बाद से देश की जनगणना अपने आप अपडेट हो जाएगी. अमित शाह ने बताया कि अगर कोई शख्स किसी दूसरे शहर में रहने के लिए घर खरीदता है तो ऑटोमैटिकली उसको उस शहर में वोट का अधिकार मिल जाएगा. साथ ही अन्य सुविधाओं के लिए भी सरकारी विभागों में भागदौड़ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. शाह का दावा है कि इस डिजिटल डाटा से सरकार को भी अगले 25 सालों तक नीतियां बनाने में आसानी होगी.
तो क्या 10 साल में होने वाली जनगणना बंद होगी?
गृहमंत्री अमित शाह जिस तरह से ई-जनगणना के काम करने की प्रक्रिया को बता रहे हैं, उससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या अब हर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके हर 10 साल में जनगणना जैसी कठिन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा.
aajtak.in