पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 'मकर संक्रांति' के अवसर पर गंगासागर में पवित्र स्नान के लिए 30 लाख श्रद्धालु पहुंचे. गंगासागर में हुगली नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं ने सर्दी की परवाह किए बिना धार्मिक अनुष्ठान पूरा किया.
श्रद्धालुओं ने कपिल मुनि आश्रम में प्रार्थना भी की. अधिकारियों के अनुसार 'शाही स्नान' के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:58 बजे शुरू हुआ और यह 24 घंटे तक जारी रहा.
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ मंत्री अरूप विश्वास ने बताया कि 1 जनवरी से अब तक कुल 85 लाख श्रद्धालुओं ने गंगासागर में पवित्र स्नान किया है.
सरकार की तैयारियां
गंगासागर मेले के लिए राज्य सरकार ने बेहतरीन इंतजाम किए हैं. साथ ही चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था की गई है. करीब 13,000 पुलिसकर्मी, 2,500 सिविल डिफेंस कर्मी, आपदा प्रबंधन टीम और भारतीय तटरक्षक बल के सदस्य मेले की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं. इस साल गंगासागर मेला 'महाकुंभ मेला' के साथ है, जो 12 वर्षों में एक बार उत्तर प्रदेश में आयोजित होता है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले ही 'गंगासागर मेला' को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की मांग की थी.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार विभिन्न राज्यों से आए 5 श्रद्धालुओं की वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों के कारण अब तक मौत हो चुकी है. 7 बीमार श्रद्धालुओं को इलाज के लिए कोलकाता एयरलिफ्ट किया गया है. मृतकों में तीन उत्तर प्रदेश से, एक हरियाणा से और एक छत्तीसगढ़ से थे. दक्षिण 24 परगना के एक अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की मौत की वजह हार्टअटैक है.
क्या है गंगासागर मेले का महत्व?
बता दें कि गंगासागर मेला भारत के सबसे प्रमुख तीर्थ मेलों में से एक है. यह हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर आयोजित होता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, गंगासागर में स्नान करना पुण्यफलदायी माना जाता है और इसे जीवन के पापों से मुक्ति का मार्ग समझा जाता है.
गंगासागर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. यह स्थान कपिल मुनि के तपोवन के रूप में प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि राजा सगर के 60,000 पुत्रों को कपिल मुनि ने यहीं पर मोक्ष प्रदान किया था, जब गंगा नदी पृथ्वी पर उतरी थीं. इसी मान्यता के चलते यह स्थान 'गंगासागर' कहलाया.
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