वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हिन्दू और मुस्लिम पक्ष क्यों बता रहे हैं अपनी-अपनी जीत, समझें अदालत का फैसला

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा देते हुए कहा है कि वो अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय डीड' और 'वक्फ बाय यूजर' की संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगी. यानी कि जो संपत्तियां वक्फ बाय यूजर के जरिये वक्फ बोर्ड को मिली हैं, वक्फ बोर्ड के नाम रजिस्टर्ड हैं, वक्फ बोर्ड के नाम से गजेटेड हैं उसे डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा.

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वक्फ कानून के दो प्रावधानों पर SC की अंतरिम रोक. वक्फ कानून के दो प्रावधानों पर SC की अंतरिम रोक.

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST

वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिनों का समय दिया है. लेकिन वक्फ संशोधन कानून 2025 पर किसी तरह का रोक नहीं लगाया है. इन 7 दिनों तक वक्फ बोर्ड, वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी. केंद्र सरकार ने मामले की सुनवाई होने तक वक्फ बोर्ड, वक्फ परिषद में किसी भी गैर मुस्लिम की नियुक्ति नहीं करने का भरोसा दिया है.

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इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय यूजर' या 'वक्फ बाय डीड' संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं  किया जाएगा. यानी कि इसे वक्फ से नहीं लिया जाएगा.

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह आश्वासन भी दर्ज किया कि इस बीच केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच दिन के भीतर केंद्र के जवाब पर जवाब दाखिल कर सकते हैं, जिसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. अब इस मामले की सुनवाई 5 मई को होगी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार अगली सुनवाई तक "वक्फ बाय डीड" और "वक्फ बाय यूजर" संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगी.

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सीजेआई ने कहा कि अगर किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण पूर्ववर्ती 1995 अधिनियम के तहत हुआ है, तो उन संपत्तियों को 5 मई को अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जा सकता.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा देते हुए कहा है कि वो अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय डीड' और 'वक्फ बाय यूजर' की संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगी. यानी कि जो संपत्तियां वक्फ बाय यूजर के जरिये वक्फ बोर्ड को मिली हैं, वक्फ बोर्ड के नाम रजिस्टर्ड हैं, वक्फ बोर्ड के नाम से गजेटेड हैं उसे डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा. आदेश के मुताबिक वक्फ बाय यूजर सहित सभी वक्फ संपत्तियों को अगली तारीख तक संरक्षित किया जाएगा. 

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि सभी वकीलों ने मिलकर यह तय किया है कि 5 मामलों की मुख्य केस के रूप में पहचान की जाएगी और इन्हें लीड केस माना जाएगा और इन्हीं मामलों पर सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने सारे मामलों पर सुनवाई करना संभव नहीं है, इसलिए सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों की ही सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ कानून से संबंधित मामले में जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय के लिए केंद्र के अनुरोध को स्वीकार कर लिया.

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केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ सात दिनों के भीतर प्रारंभिक जवाब दाखिल किया जाएगा. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के इस आश्वासन पर संतोष जताया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा वक्फ संपत्तियां, जिनमें वक्फ बाय यूजर, वक्फ बाय रजिस्ट्रेशन या वक्फ बाय नोटिफिकेशन के माध्यम से घोषित संपत्तियां शामिल हैं, डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा.

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सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ अधिनियम एक सुविचारित कानून है और केंद्र को भूमि को वक्फ के रूप में वर्गीकृत करने के बारे में बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने कहा कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा और जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा.

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पहले कानून के कुछ पहलुओं को सकारात्मक माना था और दोहराया कि इस स्तर पर कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहता कि मामला विचाराधीन रहने के दौरान मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव किया जाए. पीठ ने दोहराया कि इसका उद्देश्य मौजूदा स्थिति को बिना किसी बदलाव के बनाए रखना है, जबतक मामला न्यायिक समीक्षा के अधीन है.

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अदालत के इस फैसले को हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों ही अपनी जीत बता रहे हैं.

इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट, जजों और अधिवक्ताओं के आभारी हैं जिन्होंने धर्म से ऊपर उठकर देश की रक्षा करने में हमारी मदद की. अमानतुल्लाह खान ने कहा, "हम इस फैसले से संतुष्ट हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि वक्फ-बाय-यूजर के तहत संपत्तियां वक्फ के पास ही रहेंगी और वक्फ बोर्ड के सदस्यों का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. केंद्र सरकार 7 दिन में जवाब देगी. डीएम कोर्ट से ऊपर कैसे हो सकता है - यह प्रावधान कानून से निश्चित रूप से हटाया जाएगा. वक्फ बोर्ड वैसे ही बना रहेगा जैसा वह है..."

सुप्रीम अदालत से आए इस फैसले पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि वे इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट के आभारी है. उन्होंने कहा, "कोर्ट ने लगभग वे सभी मुद्दे उठाए जो हमने संसद में उठाए थे. आज के फैसले से पता चलता है कि यह कानून संविधान के खिलाफ बनाया गया है. यह संविधान की जीत है, किसी पक्ष की नहीं. आने वाले दिनों में कोर्ट और भी राहत देगा और सरकार की जमीन हड़पने की साजिश को रोकेगा."

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वहीं इस मामले में हिन्दू पक्षकार हिन्दू सेना के चीफ विष्णु गुप्ता के वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट में भारत के सॉलिसिटर जनरल ने स्पष्ट रूप से कहा कि नए संशोधन अधिनियम के तहत वक्फ परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी. सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि सरकार अगली सुनवाई तक वैसे वक्फ-बाय-यूजर जो रजिस्टर्ड और गजेटेड हैं, को डी-नोटिफाई नहीं करेगी.

उन्होंने कहा कि वैसी संपत्तियां जो वक्फ-बाय-यूजर जो रजिस्टर्ड और गजेटेड नहीं है उस पर एक्शन लिया जा सकेगा.

बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि इसका मतलब है कि वक्फ कानून 2025 के बाकी प्रावधान प्रभावी रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है ताकि कोई भी पक्ष पूर्वाग्राह न महसूस करे. सरकार ने तय कर दिया है वो किसी के भी खिलाफ नहीं है.

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उन्होंने कहा कि इन दो प्रावधानों के अलावा वक्फ कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकृति दे दी है.

हिन्दू पक्ष की वकील रीना ने कहा कि अगर वैधानिकता के हिसाब से देखें तो सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को मंजूर कर लिया है. उन्होंने कहा कि अदालत ने उन्हीं संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई है जो नोटिफाइड हैं गजेटेड हैं या फिर रजिस्टर्ड हैं. यहां पर ये समझना होगा जो वक्फ बाय यूजर में जो ओरल वक्फ था, ओरल स्टेटमेंट थे. आज सर्वोच्च न्यायालय ने उसे निरस्त कर दिया है. ये एक तरह से हिन्दू पक्ष की जीत है. 

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