साल 1997 में दिल्ली के ग्रीन इलाके में एक भयावह हादसा हुआ था, जिसमें 59 लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इसी मामले में अंसल बंधुओं पर 60 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इस जुर्माने राशि को जमा भी किया जा चुका है. लेकिन, उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (AVUT) के संघ ने आरोप लगाया कि एक दशक बीत जाने के बाद भी जुर्माने राशि का इस्तेमाल नहीं किया जा सका है.
सुप्रीम कोर्ट में AVUT के द्वारा लगाए आरोपों की सुनवाई हुई. कोर्ट ने जुर्माने राशि का इस्तेमान न होने पर नाराजगी ज़ाहिर करते हुए कहा, 'क्या अस्पताल हवा में बनता है? यह तो सरकारी जमीन पर बनता है.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले ही आदेश दिया चुका था, जिसका मकसद था कि पूरे शहर में इमरजेंसी मेडिकल फैसिलिटी सुनिश्चित करना था.
AVUT ने कोर्ट ने कहा कि दोषियों को तो सजा में कमी का फायदा मिल गया, लेकिन आदेश के पालन में कोई कदम नहीं उठाया गया. इतना ही नहीं वह बोर्ड जिसे पांच करोड़ रुपये देने और पांच एकड़ ज़मीन उपलब्ध कराने का निर्देश था, उसने भी अनुपालन नहीं किया.
सरकार की दलील और अगला कदम
वहीं, सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा कि इस मामले को विरोधी के रूप में न देखें और जुर्माने की 60 करोड़ रुपये की राशि का सही उपयोग किया गया है.
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कोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रॉमा सेंटर काम कर रहे हैं या नहीं, आपातकालीन कर्मचारी 24 घंटे उपलब्ध हैं या नहीं, और कितने आपातकालीन मामलों को तुरंत संभाला जा सकता है. इसके बाद फिर रिपोर्ट जमा करें.
बता दें कि उपहार अग्निकांड मामले में पीड़ितों ने 25 साल की लंबी कानून लड़ाई लड़ी थी. लंबे समय बाद कोर्ट ने दोषियों को सजा भी सुनाई थी. एक सिनमे हॉल के बेसमेंट में लगे एक ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट हुआ तो और आग तेजी से फैली और काफी धुआं सिनेमा हॉल में घुस गया था. इससे बड़ा हादसा हो गया था.
सृष्टि ओझा