'मक्का-मदीना और राम जन्मभूमि की तुलना हो सकती है लेकिन...', ऐसा क्यों बोलीं उमा भारती?

उमा भारती ने कहा, 'काशी में जो काशी विश्वनाथ का मंदिर है उसके पीछे जो मूर्तियां आज भी हैं, कोई नेत्रहीन व्यक्ति भी हाथ फेरेगा तो कहेगा कि ये मंदिर है. जब सब कुछ सामने बिल्कुल क्लियर दिख रहा है और जो मुसलसल ईमान रखने वाला मुसलमान है वो दूसरे के धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाए गए स्थान पर नमाज पढ़ ही नहीं सकता.'

Advertisement
उमा भारती ने कहा कि मक्का-मदीना और रामजन्म भूमि की तुलना हो सकती है लेकिन बाबर और राम की तुलना नहीं हो सकती. (File Photo: ITG) उमा भारती ने कहा कि मक्का-मदीना और रामजन्म भूमि की तुलना हो सकती है लेकिन बाबर और राम की तुलना नहीं हो सकती. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता उमा भारती से जब पूछा गया कि लोग कहते हैं कि अयोध्या तो सिर्फ झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है तो इस पर आपका क्या कहना है. तो उमा भारती ने साफ कहा कि ये बात सबसे पहले मैंने ही कही थी और आज भी यह संसद के रिकॉर्ड में दर्ज है. उन्होंने कहा कि भगवान राम और बाबर की तुलना नहीं हो सकती क्योंकि राम हमारे देश की पहचान हैं और बाबर एक आक्रांता था.

Advertisement

उमा भारती ने क्या कहा?

इंडिया टुडे के खास शो '#UnPolitics' में प्रीति चौधरी ने उमा भारती से पूछा कि एक धारा के लोग कहते हैं कि अयोध्या एक झांकी अब काशी-मथुरा बाकी, क्या आप यह मानती हैं? उमा भारती ने जवाब में कहा, 'मैंने ये बात 1991 में कही थी, जब पूजा स्थली विधेयक आया था. आडवाणी जी ने संसद में कहा था कि इस विधेयक पर उमा भारती डिबेट को ओपन करेंगी. मैंने जो कहा था वो आज तक कायम है क्योंकि वो संसद के रिकॉर्ड में है. मैंने कहा था कि आप अयोध्या को बाहर कर रहे हैं क्योंकि अयोध्या को विवादित स्थल मान रहे हैं लेकिन हम इसको विवादित नहीं मानते क्योंकि वहां हिंदू और मुसलमान का विवाद नहीं है. बाबर कोई पैगंबर नहीं था. वह एक हमलावर था और भगवान राम इस देश की पहचान हैं इसलिए आस्थाओं का टकराव नहीं है. राम और बाबर की तुलना नहीं हो सकती. खुदा से हो सकती है. मक्का मदीना और राम जन्म भूमि की तुलना हो सकती है लेकिन बाबर और राम की तुलना नहीं हो सकती इसलिए ये विवादित स्थल नहीं है लेकिन आपने उसको विवादित माना और बाकी दो को कह दिया कि 1947 से पहले की स्थिति में रहेंगे.'

Advertisement

उन्होंने कहा, 'मैंने ही ये सबसे पहले संसद में कहा था, जिसके चलते एक दिन के लिए संसद स्थगित हो गई थी और पूरी पार्टी मेरे साथ खड़ी रही. मैंने कहा कि आप अयोध्या के साथ-साथ मथुरा और काशी को भी बाहर कर दीजिए और हिंदू और मुसलमान की आपस की सहमति से इन पर भी मंदिर बनाने का रास्ता निकलने दीजिए तभी हमारी आने वाली पीढ़ियां सुख से रहेंगी. उनको सुख से रहने के लिए आप अभी से बीज बो दीजिए नहीं तो तनाव बना रहेगा. ये तनाव मत रहने दीजिए. आने वाली पीढ़ियों को सुख से जीने का रास्ता निकाल दीजिए. आज ही इन दोनों स्थलों को बाहर कर दीजिए.'

'संसद के अंदर भी हो सकता है फैसला'
 
जब उनसे समाधान के बारे में पूछा गया तो उमा भारती ने कहा, 'एक समुदाय को खुश करने के लिए राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था. शाह बानो का. कई बार ऐसी बातें होती हैं जब माननीय कोर्ट का पूरा सम्मान रखते हुए भी आप पार्लियामेंट के अंदर फैसले ले सकते हैं. उसमें सबको साथ देना चाहिए. मैं आज भी कहूंगी कि वो कृष्ण जन्म भूमि है. उसके पूरे सबूत वहां मौजूद हैं.'

'नेत्रहीन व्यक्ति भी हाथ फेरकर बता देगा कि मंदिर है'

Advertisement

उन्होंने कहा, 'काशी में जो काशी विश्वनाथ का मंदिर है उसके पीछे जो मूर्तियां आज भी हैं, कोई नेत्रहीन व्यक्ति भी हाथ फेरेगा तो कहेगा कि ये मंदिर है. जब सब कुछ सामने बिल्कुल क्लियर दिख रहा है और जो मुसलसल ईमान रखने वाला मुसलमान है वो दूसरे के धार्मिक स्थल को तोड़कर बनाए गए स्थान पर नमाज पढ़ ही नहीं सकता. वो नमाज जायज नहीं होती, नाजायज होती है. तो जब ये तय है कि वो उनका धार्मिक स्थान है ही नहीं तो इसमें फैसला कहीं भी किया जा सकता है.'

'नेताओं के चक्कर में क्यों फंस रहा मुस्लिम समाज?'

उमा भारती ने कहा, 'मैं शुरू से कह रही हूं कि क्यों नहीं हम इसको पॉलिटिकल एजेंडा से बाहर कर दें और दोनों समुदाय के साधू-संत मिलकर फैसला कर लें. मथुरा, काशी और अयोध्या ये तीन स्थान राम, कृष्ण और शिव के स्थान हैं और ये तीनों हिंदुओं के आराध्य हैं. ये बात मुस्लिम समाज भी जानता है तो क्यों वो नेताओं के चक्कर में फंस रहा है. मैंने 1991 में जो कहा था वही सही था कि अगर आपने ये दोनों बाहर नहीं किए तो फिर समस्याओं का मुंह सुरसा की तरह खुलेगा और जब खुलेगा तो ऐसी बातें होती रहेंगी जिससे हिंदू और मुसलमानों के लड़के-लड़कियां सुख से आगे का जीवन नहीं जी पाएंगे. आने वाली युवा पीढ़ियों को शांति और सौहार्द की धरोहर दे दीजिए नहीं तो बहुत मुश्किलें आएंगी और वो आ रही हैं.'

Advertisement

यहां देखें पूरा इंटरव्यू:

 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement