इंडिगो की फ्लाइट्स में देरी या कैंसिल होने से देशभर में हवाई सफ़र करने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे आम आदमी से लेकर सांसद तक शामिल हैं. इससे कोई अछूता नहीं है. एयरोपोर्ट्स पर लोग इधर-उधर बौखलाते नज़र आए.
इंडिगो की लगातार उड़ान रद्द होने से जब सांसद खुद प्रभावित हुए, तो यह मुद्दा संसद तक पहुंच गया. लेकिन टीएमसी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सांसदों की यह परेशानी “बहुत छोटी” है, क्योंकि पश्चिम बंगाल के 59 लाख मनरेगा मजदूर तीन साल से अपने वेतन का इंतज़ार कर रहे हैं.
टीएमसी ने संसद परिसर में तीसरे दिन भी प्रदर्शन जारी रखा और केंद्र पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक कारणों से बंगाल को फंड नहीं दे रहा.
डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत राज्य के मजदूरों का लगभग 52,000 करोड़ रुपये रोक दिए हैं, जबकि कांग्रेस सदस्य प्रमोद तिवारी ने इंडिगो के "एकाधिकार" और बड़े पैमाने पर कैंसिलेशन को लेकर चिंता जताई. कई सांसदों ने कहा कि अब वे सप्ताहांत पर भी अपने क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे.
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इसी बीच, सरकार की ओर से राज्यसभा में स्पष्ट किया गया कि मार्च 2022 से मनरेगा फंड रोकने का कारण राज्य सरकार द्वारा निर्देशों का अनुपालन न करना है. केंद्र के अनुसार, उस समय तक बंगाल पर 3,082 करोड़ रुपये की देनदारी थी.
टीएमसी का कहना है कि कुल बकाया इससे कहीं अधिक है और यदि केंद्र ने भुगतान नहीं किया, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा.
बता दें कि इंडिगो ने शुक्रवार को एक हजार से ज्यादा फ्लाइट्स को कैंसिल किया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इस पूरे मामले पर ब्यान जारी करते हुए जानकारी दी है कि पूरी अच्छी तरह से यातायात सेवाएं बहाल 10 से 15 दिसंबर के बीच हो जाएंगी.
इनपुट: पीटीआई
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