'द केरल स्टोरी फिल्म पर नहीं लगाया बैन', सुप्रीम कोर्ट में बोली तमिलनाडु सरकार

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 'द केरल स्टोरी' फिल्म निर्माताओं ने झूठा बयान दिया है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाया है. दर्शकों की संख्या में कमी के चलते सिनेमाघर मालिकों ने खुद ही फिल्म की स्क्रीनिंग को बंद करने का फैसला लिया है.  

Advertisement
द केरला स्टोरी पर तमिलनाडु सरकार ने लगाया बैन द केरला स्टोरी पर तमिलनाडु सरकार ने लगाया बैन

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST

तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कहा है कि राज्य में फिल्म 'द केरल स्टोरी' की स्क्रीनिंग पर रोक नहीं लगाई गई है और न ही कोई बैन लगाया गया है. तमिलनाडु सरकार ने कहा कि फिल्म निर्माता की ये दलील गलत है कि राज्य में फिल्म दिखाने पर 'रोक जैसे हालात' हैं. 

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि ये फिल्म 5 मई को 19 मल्टीप्लेक्स में भी रिलीज हुई, लेकिन फिल्म में जाने पहचाने कलाकारों के न होने, कलाकारों के घटिया प्रदर्शन और फिल्म देखने आ रहे दर्शकों की संख्या में कमी के चलते सिनेमाघर मालिकों ने खुद ही फिल्म की स्क्रीनिंग को बंद करने का फैसला लिया है.  

Advertisement

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि फिल्म निर्माताओं ने झूठा बयान दिया है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाया है. राज्य सरकार की दलील है कि फिल्म की स्क्रीनिंग करने वाले सभी सिनेमाघरों के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा 5 मई को पुलिस महानिदेशक ने राज्य के सभी पुलिस आयुक्तों और जिला पुलिस अधीक्षकों को फिल्म दिखाने वाले प्रत्येक सिनेमा हॉल को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश जारी किए थे.  

राज्य ने किए सुरक्षा के इंतजाम 

राज्य ने फिल्म की स्क्रीनिंग की सुविधा के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए और यह सुनिश्चित किया कि थिएटर मालिक और दर्शक सुरक्षित रहें. इसके लिए 965 से अधिक पुलिसकर्मी, 25 डीएसपी उन 21 थिएटरों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए थे, जिन्होंने फिल्म की स्क्रीनिंग की थी. 

Advertisement

तमिलनाडु में 5 मई को मुस्लिम संगठनों ने किया प्रदर्शन 

इस फिल्म के खिलाफ 5 मई को विभिन्न मुस्लिम संगठनों द्वारा 19 स्थानों पर प्रदर्शन, आंदोलन एवं धरना दिया गया. 6 मई को चेन्नई और कोयम्बटूर में 7 जगहों पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुल नौ मामले दर्ज किए गए जिसमें चेन्नई में पांच और कोयम्बटूर में चार मामले दर्ज किए गए. 

तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे में कहा है कि राज्य द्वारा प्रदान की गई पर्याप्त पुलिस सुरक्षा में थिएटर मालिक कुछ मुस्लिम संगठनों के विरोध के बावजूद 5 मई और 6 मई को पूरे राज्य में फिल्म की स्क्रीनिंग करने में कामयाब रहे, लेकिन आम जनता में इस फिल्म को लेकर अच्छे रिस्पॉन्स की कमी के कारण, राज्य के थिएटर और मल्टीप्लेक्स मालिकों ने 7 मई से फिल्म का प्रदर्शन बंद करने का फैसला किया. 

तमिलनाडु में अलर्ट जारी किया गया  

खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मद्देनजर स्टेट इंटेलिजेंस ने 26 अप्रैल और 3 मई को जिलों के पुलिस अधीक्षकों और शहरों के पुलिस आयुक्तों को कानून व्यवस्था की स्थिति पर पैनी नजर रखने के लिए अलर्ट जारी किया था.  

रिलीज होने के बाद इस फिल्म की भारी आलोचना हुई. कुछ मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि फिल्म आम जनता के बीच "मुस्लिम विरोधी नफरत" और "इस्लामोफोबिया" फैलाती है और केवल मुसलमानों के खिलाफ अन्य धर्मों का ध्रुवीकरण करने के इरादे से बनाई गई है.   

Advertisement

दुर्भावना से प्रेरित और प्रचार पाने के लिए याचिकाकर्ताओं ने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ झूठे और भ्रामक आरोप लगाए हैं. इसके बावजूद राज्य सरकार ने अपने कार्यों का निर्वहन करता रहा है. तमिलनाडु सरकार ने हलफनामे में आरोप लगाया है कि निर्माता ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर अनुचित लाभ लेने की कोशिश की है. इसलिए फिल्म निर्माता के भ्रामक बयान वाली ये याचिका खारिज की जानी चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?  

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को फिल्म निर्माता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा था कि जब देश के दूसरे हिस्सों मे फिल्म द केरल स्टोरी शांति से चल रही है तो बंगाल और तमिलनाडु में ही फिल्म के प्रदर्शन पर बैन क्यों? यह कलात्मक स्वतंत्रता के बारे में है! सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल देश के अन्य भागों से अलग नहीं है. दोनों राज्य की सरकार फिल्म आखिर क्यों नहीं चलने देना चाहती जबकि दूसरी राज्यों में जहां भगौलिक परिस्थिति वैसी ही है. यह फिल्म वहां शांति से चल रही है लेकिन अगर लोग फिल्म नहीं देखना चाहते तो ये उन पर छोड़ दें.  

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement