ओडिशा के भरतपुर में आर्मी अफसर और उसकी मंगेतर के साथ बदसलूकी मामले में मोहन माझी सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इस बीच, पीड़िता लड़की ने भरपुर पुलिस स्टेशन से जुड़े अफसरों पर सबूतों को मिटाने और छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है और दोषी अफसरों के खिलाफ एक्शन लिए जाने की मांग की है. पीड़िता का कहना है कि सबूतों को मिटाने के लिए थाने में यज्ञ-हवन के बहाने पानी से धुलाई की गई है.
पीड़िता ने भरतपुर के पुलिस अधिकारियों पर जानबूझकर फोरेंसिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है और कटक की क्राइम ब्रांच को शिकायती पत्र सौंपा है. पीड़िता ने कहा कि उसे स्पॉट वेरिफिकेशन और जांच के लिए 24 सितंबर को भरतपुर पुलिस स्टेशन में बुलाया गया. जांच में फोरेंसिक टीम शामिल थी. चूंकि संबंधित घटना भरतपुर पुलिस स्टेशन के परिसर में ही हुई थी.
जानबूझकर सबूत नष्ट करने की साजिश का आरोप
वहां पहुंचने पर पता चला कि पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर पुलिस स्टेशन परिसर के भीतर पूजा (अनुष्ठान) और हवन (अग्नि यज्ञ) किया है. महिला के अनुसार, अनुष्ठान एक पुजारी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की देखरेख में किया गया. पीड़िता का दावा है कि यह कार्य जांच से संबंधित महत्वपूर्ण सबूतों को जानबूझकर नष्ट करने के लिए एक बहाना है. पूरे पुलिस स्टेशन को दो बार अच्छी तरह से धोया गया, जिसके कारण महत्वपूर्ण फोरेंसिक साक्ष्य नष्ट हो गए, जिन्हें टीम को इकट्ठा करना था.
पीड़िता का कहना था कि यह अनुष्ठान सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के उद्देश्य से आंखों में धूल झोंकने से ज्यादा कुछ नहीं है. उन्होंने क्राइम ब्रांच के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जरूरी कार्रवाई करने और आगे सबूतों को नष्ट करने या छेड़छाड़ करने से रोकने का आग्रह किया है.
पीड़िता ने इंडिया टुडे से पुष्टि की कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ के लिए पुलिस स्टेशन के कोने-कोने को साफ किया गया था. चूंकि मामला फिलहाल एसडीजेएम, भुवनेश्वर के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए यह देखना बाकी है कि इस गंभीर आरोप के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी.
क्या है पूरा मामला
सेना के मेजर ने आरोप लगाया था कि वो 14 सितंबर की रात अपनी मंगतेर के साथ रेस्टोरेंट से लौट रहे थे. इस बीच रास्ते में कुछ अराजकतत्वों ने पीछा कर रोक लिया और घेर लिया. इस पूरे मामले की वो शिकायत करने के लिए भरतपुर थाने पहुंचे तो वहां बदसलूकी, मारपीट और उत्पीड़न किया गया. शिकायतकर्ता मेजर पश्चिम बंगाल में तैनात हैं. इस मामले में ओडिशा सरकार का कहना है कि न्यायिक जांच की अध्यक्षता जस्टिस चितरंजन दास करेंगे और 60 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल की जाएगी. राज्य सरकार ने उड़ीसा हाईकोर्ट से पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही जांच की निगरानी करने का भी अनुरोध किया है.
शिवानी शर्मा