तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश ने केंद्र सरकार से शिक्षा नीति को लेकर हठ न दिखाने और फंड जारी करने की अपील की है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को डीएमके पर नई शिक्षा नीति को लेकर समाज में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया था कि देश में केवल 10 प्रतिशत लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री अंबिल महेश ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कोई भी भाषा सीख सकता है, लेकिन जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पहले कहा था, तीन भाषाओं तक सीमित क्यों रहें, हर कोई सभी 22 भाषाएं सीखे तो इसमें कोई बुराई नहीं है. लेकिन मेरी राय में इसमें कोई जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए. भले ही गणित, विज्ञान या तमिल में 100 अंक आएं, लेकिन इस भाषा (नई शिक्षा नीति की थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के मुताबिक तीसरी भाषा) में पास नहीं होने तक फेल पास नहीं माना जाना, यह मैं कतई स्वीकार नहीं कर सकता.'
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तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने कहा, 'हमारी दो-भाषा नीति से हमारे बच्चे दुनिया भर में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे हैं. वे भाषा नीति (केंद्र सरकार) पर हठधर्मिता दिखा रहे हैं क्योंकि उनका उद्देश्य हिंदी थोपना और फिर संस्कृत लाना है. हमने स्पष्ट कर दिया है कि हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. इतने शानदार परिणाम दिखाने के बाद भी तीन भाषा नीति को स्वीकार करने का दावा करना कितना उचित है?'
अंबिल महेश ने आगे कहा कि नीति के मामले में वे (केंद्र सरकार) भाषा के अलावा कुछ और चर्चा करने में असमर्थ हैं. उन्होंने कहा, 'वे हठी हैं और यह दुखद है. हम आपसे अपील करते हैं कि छात्रों के भविष्य से राजनीति न करें. आप पिछले दो वर्षों से ऐसा क्यों कर रहे हैं? राष्ट्र की जनता जानती है कि राजनीति कौन कर रहा है.' बता दें कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार नई शिक्षा नीति में शामिल त्रि-भाषा नीति का विरोध कर रही है. उसका आरोप है कि इसके जरिए केंद्र सरकार तमिल छात्रों पर हिंदी थोप रही है.
प्रमोद माधव