26/11 हमले से पांच दिन पहले फुर्र हुआ था तहव्वुर राणा... अब 17 साल बाद चुकता होगा हिसाब, पाकिस्तान की भी खुलेगी पोल

तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने के इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं. तहव्वुर को भारत लाए जाने से पहले दिल्ली में NIA दफ्तर के बाहर सुरक्षा सख्त कर दी गई है. वहीं ये भी खबर है कि दिल्ली और मुंबई की एक जेल को तैयार किया जा रहा है.

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जल्द भारत आएगा तहव्वुर राणा जल्द भारत आएगा तहव्वुर राणा

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

मुंबई के 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया जारी है. अमेरिका की ओर से प्रत्यर्पण संधि के तहत सौंपे जाने के बाद भारतीय एजेंसियों की एक टीम तहव्वुर राणा को विशेष विमान से भारत के लिए उड़ान भर चुकी है. ये विमान बीच में एक अज्ञात जगह पर कुछ देर के लिए ठहरेगा और फिर जब वो उड़ान भरेगा तो आज देर रात या कल सुबह तड़के मुंबई हमले का गुनहगार और पाकिस्तानी सेना का पूर्व कैप्टन तहव्वुर राणा इंसाफ की चौखट पर पेश किए जाने के लिए भारत पहुंच चुका होगा. आजतक को खास सूत्रों ने बताया है कि भारत लाए जाने के बाद तहव्वुर राणा को सबसे पहले NIA कोर्ट में पेश किया जाएगा. वहां से उसकी कस्टडी मिलने के बाद खुफिया एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगी.

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आपको बता दें कि तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने के इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे हैं. तहव्वुर को भारत लाए जाने से पहले दिल्ली में NIA दफ्तर के बाहर सुरक्षा सख्त कर दी गई है. वहीं ये भी खबर है कि दिल्ली और मुंबई की एक जेल को तैयार किया जा रहा है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि पहले तहव्वुर राणा की कस्टडी NIA को मिलेगी और फिर मुंबई पुलिस को उससे पूछताछ का मौका दिया जाएगा. इस पूछताछ में 26 नवंबर 2008 को हुए 10 पाकिस्तानी आतंकियों के हमले से जुड़े कई राज सामने आएंगे और पाकिस्तान का आतंकी नेटवर्क पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर से खुलकर सामने आ जाएगा.

ऐसे हुई थी हमले की प्लानिंग

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक होने के साथ ही मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य भी है. उसके इशारे पर मुंबई की रेकी करने वाले डेविड कोलमैन हैडली ने अपनी गवाही में बताया है कि तहव्वुर राणा ने ही भारत आने के लिए उसके पासपोर्ट का इंतजाम किया. उसे भारत में अपनी ट्रैवल एजेंसी और इमिग्रेशन फर्म का ऑफिस खोलने के बहाने मुंबई पर हमला करने के लिए ठिकानों की रेकी के लिए भेजा था और खुफिया एजेंसियों के मुताबिक राणा ने न केवल इस हमले की प्लानिंग की जिसमें 166 लोग मारे गए थे. बल्कि इस हमले के बाद वो इतना खुश हुआ था कि उसने हमले में शामिल आतंकियों को पाकिस्तान में खास पुरस्कार देने की वकालत भी की थी. खुफिया एजेंसियां ये भी बताती हैं कि मुंबई हमले से ठीक पहले वो मुंबई आया था. दुबई के रास्ते तहव्वुर राणा मुंबई आया और 11 नवंबर 2008 से 21 नवंबर 2008 तक पवई के होटल रिनैसां में ठहरा था. इस दौरान उसने हमले से जुड़े सारे ठिकानों और इंतजामों का जायजा लिया और उसके जाने के ठीक 5 दिन बाद 26 नवंबर को मुंबई में आतंकी हमला हो गया.

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पाकिस्तान में रची गई साजिश

तहव्वुर राणा के भारत आने से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ जाएगी. दरअसल, अमेरिकी एजेंसियों, मुख्य रूप से FBI और अभियोजन पक्ष ने तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ मुंबई के 26/11 हमले में वहां की अदालतों में ठोस सबूत पेश किए हैं. उनमें पाकिस्तान में बैठ कर रची गई साजिश पर मुहर लगती है.

सबसे बड़ा सबूत 2010 में हेडली की गवाही है जिसमें उसने कबूल किया कि लश्कर-ए-तैयबा के लिए उसने मुंबई में ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की थी. हेडली ने 2006-2008 के बीच मुंबई की कई यात्राओं के दौरान हमले के स्थानों की तस्वीरें और वीडियो बनाए, जो FBI को मिले. हेडली के लश्कर हैंडलर साजिद मीर और ISI के मेजर इकबाल के साथ ईमेल और फोन कॉल्स की रिकॉर्डिंग भी है, जिसमें हमले की योजना पर बात हुई थी. 

बेनकाब होगा पाकिस्तान

हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा के कैंप में ट्रेनिंग ली और इस ट्रेनिंग के लिए उसके 2006 से 2008 के बीच पांच बार पाकिस्तान यात्रा के सबूत हैं. उनमें पासपोर्ट डेटा और गवाह शामिल हैं. इससे भी पाकिस्तान बेनकाब होगा. राणा ने नवंबर 2008 में हमले से ठीक पहले मुंबई का दौरा किया और लश्कर को तैयारियों की जानकारी दी. हेडली की गवाही और फोन-मेल रिकॉर्ड से पता चलता है कि राणा को साजिश की पूरी जानकारी थी और उसने लश्कर-ए-तैयबा को साजिश रचने में पूरा साथ दिया.

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तहव्वुर राणा और डेविड हेडली की दोस्ती की शुरुआत पाकिस्तान के हसन अब्दाल में कैडेट कॉलेज से हुई. दोनों ने वहां एक साथ पढ़ाई की और लगभग पांच साल तक एक ही स्कूल में रहे, जिसके चलते उनकी गहरी दोस्ती हो गई. उस समय डेविड हेडली का नाम दाऊद सईद गिलानी था, जिसने बाद में अमेरिका जाकर अपना नाम डेविड कोलमैन हेडली रख लिया. हेडली का जन्म 30 जून, 1960 को वाशिंगटन डीसी में हुआ. उसकी मां अमेरिकी और पिता पाकिस्तानी थे. 

पाकिस्तान में रहने के दौरान उसकी तहव्वुर राणा से दोस्ती हुई. राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब सूबे में 12 जनवरी 1961 को हुआ था. राणा बाद में पाकिस्तानी फौज में डॉक्टर बन गया. उसकी पत्नी भी डॉक्टर थी. 1997 में राणा अपने परिवार के साथ कनाडा चला गया और वहां इमिग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी शुरू की. जब हेडली की मां उसके पिता से अलग हुई तो 1977 में वो हेडली को लेकर अमेरिका चली आई. शिकागो में राणा और हेडली की फिर से मुलाकात हुई. हेडली ने अमेरिकी एजेंसियों को बताया कि राणा लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और उसने ही मुंबई हमले की प्लानिंग और रेकी के लिए उसे मुंबई भेजा था.

अमेरिका में ऐसे हुई गिरफ्तारी

मुंबई हमले के करीब एक साल बाद तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली को गिरफ्तार किया गया. दोनों को अमेरिका में पकड़ा गया लेकिन ये गिरफ्तारी मुंबई हमले के सिलसिले में नहीं हुई थी. ये अक्टूबर 2009 की बात है जब 3 अक्टूबर 2009 को हेडली शिकागो के ओ'हेयर अंतरराष्ट्रीय हवाई से फिलाडेल्फिया के लिए उड़ान भरने की तैयारी में था. वहां से वो पाकिस्तान जाने वाला था. FBI को खुफिया जानकारी मिली थी कि वो डेनमार्क के अखबार "Jyllands-Posten" पर हमले की साजिश रच रहा था, जिसने पैगंबर मोहम्मद को लेकर कार्टून प्रकाशित किए थे.

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जांच में बाद में पता चला कि वो 26/11 मुंबई हमलों में भी शामिल था. उसकी गिरफ्तारी के 15 दिन बाद 18 अक्टूबर 2009 को तहव्वुर राणा को भी शिकागो के उसी हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया. वो भी डेनमार्क हमले की साजिश में शामिल था. FBI ने राणा और हेडली पर लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने और मुंबई हमलों की प्लानिंग करने का भी आरोप लगाया और फिर उन पर मुकदमा चला.

17 साल पहले हुआ मुंबई हमला इतना खौफनाक क्यों था?

दरअसल, भारत के खिलाफ पाकिस्तान आतंकी हमलों को 1990 के दशक से ही अंजाम देना शुरू कर दिया था. इसी दशक में पाकिस्तानी आर्मी का डॉक्टर तहव्वुर राणा पाकिस्तान से कनाडा चला गया और वहां की नागरिकता ले ली. लेकिन उसकी पूरी प्लानिंग के बाद 26 नवंबर 2008 को मुंबई में जो हमला हुआ वो तीन दिनों तक चला. इसमें लश्कर-ए-तैयबा के पूरी तरह प्रशिक्षित हथियारबंद आतंकी समंदर के रास्ते भारत आए. उन्होंने मुंबई के कई अहम ठिकानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से लेकर ताज होटल और छबड़ हाउस तक आतंकियों ने खूनी खेल खेला. 9 आतंकी मारे गए और एक जिंदा आतंकी अजमल कसाब पकड़ा गया जिसे 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई. अब तहव्वुर राणा दूसरा जिंदा आतंकी और मास्टरमाइंड है जिसे भारत लाया जा रहा है.

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