सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. याचिका में मांग की गई थी कि भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं को चुनाव लड़ने के अयोग्य बनाया जाए.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि जब आप जीतते हैं तो ईवीएम ठीक है. लेकिन जब हार जाते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हुई.
ये याचिका डॉ. केए पॉल ने दाखिल की थी. उन्होंने अपनी याचिका में न सिर्फ बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग की थी, बल्कि चुनाव के दौरान पैसा और शराब बांटने के दोषी पाए जाने वाले उम्मीदवारों को कम से कम पांच साल की सजा देने की मांग भी की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए ये पूछा कि आपकी याचिकाएं दिलचस्प हैं. आपको ये बेहतरीन आइडिया कहां से मिले?
पॉल ने जब बताया कि वो 150 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं तो कोर्ट ने उनसे पूछा कि वहां भी ईवीएम से वोटिंग होती है या बैलेट पेपर से वोट डाले जाते हैं. तब पॉल ने कहा कि ज्यादातर देशों में बैलेट पेपर से वोटिंग होती है और भारत में भी ऐसा होना चाहिए.
उन्होंने तर्क दिया कि भ्रष्टाचार के कारण बैलेट पेपर से वोटिंग करवानी चाहिए. इसी साल जून में चुनाव आयोग ने 9 हजार करोड़ रुपये जब्त किए थे.
कोर्ट ने सवाल किया कि अगर बैलेट पेपर से वोटिंग होगी तब क्या कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा? पॉल ने दावा किया कि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क भी कह चुके हैं कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ होने की बात कह चुके हैं. इस पर बेंच ने कहा कि जब नायडू चुनाव हार गए तो उन्होंने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हुई. जब रेड्डी चुनाव हार गए तो उन्होंने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हो सकती है.
संजय शर्मा