BLO की मौतें, काम का दबाव, FIR की धमक‍ियां... सुप्रीम कोर्ट ने सुने SIR से जुड़े सभी तर्क, राज्यों को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को अतिरिक्त स्टाफ तैनात करने और कार्यभार समान रूप से बांटने के निर्देश दिए. BLOs पर केस दर्ज करने और आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई गई. कोर्ट ने मुआवजे के लिए व्यक्तिगत आवेदन करने को कहा. सुनवाई सर्दियों की छुट्टियों से पहले पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है.

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SIR में बढ़ते तनाव पर SC नाराज, कहा- मुश्किल में हों तो राज्य तुरंत दूसरे कर्मचारी दें SIR में बढ़ते तनाव पर SC नाराज, कहा- मुश्किल में हों तो राज्य तुरंत दूसरे कर्मचारी दें

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) की कथित मौतों और उन पर बढ़ते कार्यदबाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ा रुख अपनाया. मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि अदालत सर्दियों की छुट्टियों से पहले SIR मामलों की सुनवाई पूरी करना चाहती है, इसलिए ये मामला आज दोपहर 3 बजे तक ही सुना जाएगा. अन्य सभी मामलों को स्थगित कर दिया गया.

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CJI ने स्पष्ट किया कि बिहार के तर्क पूरे होने के बाद तमिलनाडु और फिर पश्चिम बंगाल के मामलों की बारी आएगी. ये पूरा बैच SIR की संवैधानिक वैधता से जुड़ा है.

'10 फॉर्म भी बोझ हैं?' BLO पर दबाव को लेकर SC ने उठाए सवाल

ECI की तरफ से तर्क दिया गया कि आज की व्यवस्था में प्रत्येक बूथ पर अधिकतम 1200 वोटर हैं और BLO को 30 दिन में 1200 फॉर्म लेने पड़ रहे हैं, जिसे आयोग ने 'अतिरिक्त बोझ नहीं' बताया. इस पर CJI ने सवाल किया, 'क्या 10 फॉर्म रोज़ भरना भी बोझ है?'

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वास्तविकता में BLO को 40 फॉर्म प्रतिदिन भरने पड़ रहे हैं और कई इलाकों में बहुमंजिला इमारतों में जाकर जानकारी जुटानी पड़ती है, जो मेहनत वाला काम है. इस पर ECI के वकील ने पलटकर कहा कि 70 की उम्र में भी वे सीढ़ियां चढ़ सकते हैं, और इसे 'राजनीतिक दलील' बनाकर पेश किया जा रहा है.

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कोर्ट ने सुने BLO की आत्महत्या, FIR और वर्क प्रेशर के तर्क 

तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी की याचिका में दावा है कि SIR के दौरान 35-40 BLO की मौतें हुई हैं और कई को सेक्शन 32 के नोटिस दिए गए हैं कि लक्ष्य पूरा न करने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में अनाथ बच्चे और शोकग्रस्त परिवार हैं. BLOs पर केस दर्ज करने की धमकी दी जा रही है. ये शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, क्या इनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है?

उन्होंने SC को बताया कि यूपी में ही 50 FIR दर्ज हो चुकी हैं और कई जगह BLOs को 24-48 घंटे की डेडलाइन में काम खत्म करने के नोटिस भेजे जा रहे हैं.

सुबह पढ़ाते हैं, रात 3 बजे तक डॉक्यूमेंट्स अपलोड

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि कई BLO सुबह स्कूल में पढ़ाने के बाद रात 3 बजे तक दस्तावेज अपलोड कर रहे हैं, वो भी कमजोर नेटवर्क और बिना वाई फाई वाले इलाकों में. एक मामला ये भी सामने आया कि एक BLO को अपनी शादी के लिए छुट्टी तक नहीं दी गई और उसने आत्महत्या कर ली.

SCने निर्देश दिए कि राज्य सरकारें अतिरिक्त स्टाफ दें, जिन पर दबाव है उन्हें बदला जाए. सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम निर्देश जारी किए. CJI ने कहा कि राज्य सरकारें अतिरिक्त कर्मचारी तैनात करें ताकि कार्यभार समान रूप से बांटा जा सके. यदि किसी कर्मचारी के स्वास्थ्य, गर्भावस्था, पारिवारिक कारणों या अन्य व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण वह SIR ड्यूटी नहीं कर पा रहा है, तो उसकी मांग केस-टू-केस आधार पर देखी जाए.

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राज्य ये न समझें कि उन्हें किसी निश्चित संख्या में ही स्टाफ देना है. वे जरूरत के मुताबिक संख्या बढ़ा सकते हैं. ECI ने जवाब दिया कि 91% फॉर्म डिजिटाइज हो चुके हैं और प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. 

मुआवजे के लिए अलग से आवेदन करें परिवार

मुआवजे की मांग पर कोर्ट ने कहा कि अलग से आवेदन करें. BLO की मौतों के लिए एक्स-ग्रेशिया मुआवजे की मांग पर CJI ने कहा कि प्रभावित परिवार व्यक्तिगत आवेदन के जरिए राहत मांग सकते हैं.

कपिल सिब्बल ने ये भी सवाल उठाया कि जब उत्तर प्रदेश में चुनाव 2027 में हैं, तो SIR को केवल दो महीने में पूरा करने की इतनी जल्दबाजी क्यों है. उन्होंने कहा कि कई BLO को 'जेल भेजने' की धमकियां दी जा रही हैं और दावा किया जा रहा है कि डिजिटाइजेशन 91 से 95% पूरा हो चुका है, जिसे परखना जरूरी है.

ECI की ओर से कहा गया कि राज्य पुलिस पर उसका नियन्त्रण नहीं है इसलिए नोटिस और कार्रवाई आवश्यक होती है, लेकिन अदालत ने दोहराया कि राज्य सरकारें अधिक स्टाफ दे सकती हैं, ताकि किसी एक व्यक्ति पर अत्यधिक दबाव न आए.

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