सैकड़ों पेड़ों की कथित कटाई पर दिल्ली सरकार को SC का नोटिस, 11 जुलाई तक देना होगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रमुख सचिव से यह बताने को कहा है कि पेड़ों की कटाई के लिए डीडीए के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. कोर्ट का कहना है कि रिज क्षेत्र में पेड़ों को गिराना 1994 के अधिनियम का उल्लंघन था.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 8:45 AM IST

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) के रिज इलाके में पेड़ काटे जाने और जड़ सहित कई वृक्ष गिराने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अदालत अवमानना ​​का नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सरकार से 11 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली रिज क्षेत्र में लगभग 1,100 पेड़ों की कथित कटाई के लिए दिल्ली सरकार के पर्यावरण और वन विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पेड़ों की कटाई के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को जिम्मेदार पाया है. अदालत ने सरकार को पेड़ों की कटाई का निर्देश देने वाले डीडीए अधिकारियों के खिलाफ तुरंत आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को दिल्ली रिज इलाके में गिरी लकड़ी और पेड़ों के अन्य हिस्सों यानी सूखे पत्ते, टहनी और जड़ों का स्थान तय करने का भी निर्देश दिया. लकड़ी दिल्ली सरकार के वृक्ष अधिकारी द्वारा एकत्र की जाएगी. वृक्ष अधिकारी इस पर 11 जुलाई तक रिपोर्ट देंगे.

'अब तक कार्रवाई क्यों नहीं?'

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रमुख सचिव से यह बताने को कहा है कि पेड़ों की कटाई के लिए डीडीए के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. कोर्ट का कहना है कि रिज क्षेत्र में पेड़ों को गिराना 1994 के अधिनियम का उल्लंघन था. दिल्ली सरकार को बताना होगा कि पेड़ों की कटाई में घोर अवैधता कैसे बरती गई? डीडीए ने सख्त प्रावधानों का उल्लंघन किया, इसकी जानकारी होने के बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

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दिल्ली में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, वन विभाग, ट्री अथॉरिटी, एमसीडी और डीडीए को भी नोटिस जारी किया. अदालत ने कहा कि वन विभाग के सचिव इसके लिए व्यापक उपायों पर चर्चा करने के लिए नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी की उपस्थिति में इन सभी अधिकारियों की बैठक बुलाएंगे. कोर्ट ने 12 जुलाई तक पूरे मामले का ब्यौरा मांगा है. 

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