उदयपुर फाइल्स फिल्म पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, सेंट्रल कमेटी के फैसले का करना होगा इंतजार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र की वैधानिक कमेटी के फैसले का इंतजार करेंगे. कमेटी आज यानी बुधवार को दोपहर बाद ढाई बजे अपनी बैठक में इस पर विचार करने जा रही है. कोर्ट ने कहा कि अभी सभी पक्षकार कमेटी के सामने अपनी बात रखें.

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कानूनी पचड़े में फिल्म उदयपुर फाइल्स (Photo: File) कानूनी पचड़े में फिल्म उदयपुर फाइल्स (Photo: File)

अनीषा माथुर / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

उदयपुर फाइल्स (Udaipur Files) फिल्म की रिलीज को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील गौरव भाटिया ने कहा कि मेरी फिल्म रात 12 बजे के बाद रिलीज़ होनी थी, हाई कोर्ट का फैसला रात 8 बजे आया. देश के अलग अलग राज्यों में करीब पौने दो हजार थिएटर बुक हो गए थे, हमारे 6 दिन बर्बाद हो गए. अगर सरकार कल तक फैसला कर लेती है, तो मैं शुक्रवार को फिल्म रिलीज कर पाऊंगा.

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह सही नहीं होगा कि हम सरकार को कल तक फैसला लेने को कहें. निश्चित तौर पर इस तरह के मसले पर जल्द फैसला दिया जाना चाहिए लेकिन सरकार को अपने लेवल पर थोड़ा वक्त तो लगेगा. उन्हें इस बात की ज़रूरत महसूस हो सकती है कि इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप के मद्देनजर वो फ़िल्म देखें और फिर तय करें. 

हत्याकांड मामले में आरोपी के वकील ने क्या कहा?

प्रतिपक्षी और कन्हैयालाल हत्याकांड में आरोपी जावेद के वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि फ़िल्म दो ऐसे मामलों से जुड़ी है, जो अदालत में विचाराधीन हैं. इसमें कन्हैया लाल हत्याकांड और ज्ञानवापी मस्जिद मामलों का जिक्र है. फ़िल्म में अदालतों को भी एक ख़ास तरह से फोकस किया गया है. इसमें सामाजिक विद्वेष और नफ़रत फैलाने वाली बातें, अदालत को बदनाम करने वाली बातें हैं. न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कम नहीं किया जा सकता.

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जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमारी इस तरह की आलोचना होती रहती है, हम इसके आदी हैं. 

वहीं, वकील गौरव भाटिया ने कहा कि प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. एक FIR दर्ज हुई है, दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. उन्हें सुरक्षा दी जा सकती है. उन्हें धमकियां मिल रही हैं कि फ़िल्म पर काम न किया जाए.

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क्या बोले याचिकाकर्ता के वकील?

हाई कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि जब हाई कोर्ट ने हमसे पूछा, तो मैंने खुद फिल्म देखी. मैं पूरी तरह से हिल गया था. अगर कोई जज इसे देखे, तो उसे पता चलेगा कि यह पूरी तरह से एक समुदाय के खिलाफ नफरत का विषय है, यह एक दुर्लभ मामला है. यह हिंसा को जन्म देता है, इसमें एक समुदाय का अपमान किया गया है. उस समुदाय का एक भी सकारात्मक पहलू नहीं दिखाया गया है.

वकील गौरव भाटिया ने कहा कि एक शख्स का सिर कलम कर दिया गया. वीडियो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया गया. संदेश यही है कि कट्टरपंथी तत्वों पर मुकदमा होना चाहिए. जब ऐसी घटना होती हैं, तो पीड़ित परिवारों को कितनी तकलीफ़ होती है, ये समझने वाली बात है.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र की वैधानिक कमेटी के फैसले का इंतजार करेंगे. कमेटी आज यानी बुधवार को दोपहर बाद ढाई बजे अपनी बैठक में इस पर विचार करने जा रही है. कोर्ट ने कहा कि अभी सभी पक्षकार कमेटी के सामने अपनी बात रखें. आरोपी जावेद को भी पक्ष रखने की इजाजत कोर्ट ने दी. कोर्ट ने कहा कि कमेटी बिना वक्त गवाएं अर्जी पर तुरंत फैसला करे. 

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अब सुप्रीम कोर्ट 21 जुलाई को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीने का अधिकार अनुच्छेद 19 यानी अभिव्यक्ति के अधिकार से पहले आएगा. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में फिल्म की मेरिट पर अपनी कोई राय नहीं दी है. इसके कंटेंट को लेकर जमीयत की अर्जी पर हाई कोर्ट ने कोई राय नहीं दी थी. कोर्ट ने जमीयत को सरकार के पास आवेदन देने को कहा था, जिससे वो सिनेमेटोग्राफ़ एक्ट के तहत अपने कानूनी राहत का विकल्प आजमा सके.
 

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