सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल की नर्स निमिषा प्रिया से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स और हत्या की आरोपी निमिषा प्रिया के बारे में 'असत्यापित सार्वजनिक बयान' देने वालों पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.
'निमिषा केस में सिर्फ सरकार देगी बयान'
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ता के.ए. पॉल को बताया कि अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने भरोसा दिया है कि इस मामले पर सिर्फ सरकार ही बयान देगी, अन्य कोई नहीं. बेंच ने पॉल से पूछा, 'आप क्या चाहते हैं? क्या आप चाहते हैं कि कोई भी सामने आकर मीडिया से कुछ न कहे? अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी मीडिया को कुछ न बताए. आप और क्या चाहते हैं?'
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अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह एक बेहद संवेदनशील मामला है और वह यह सुनिश्चित करेंगे कि इसके खत्म होने तक कोई मीडिया ब्रीफिंग न हो. मामले को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया. पॉल ने कहा कि प्रिया ने मामले में गैग ऑर्डर लागू करने के लिए कानूनी दखल की मांग की थी. उन्होंने कहा कि वर्तमान में, मामले में नाजुक बातचीत चल रही है और कुछ व्यक्ति झूठे बयान दे रहे हैं.
हत्या के मामले में सुनाई है मौत की सजा
याचिका में केंद्र को यमन के साथ तत्काल, राजनयिक उपाय करने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदला जा सके. अन्य निर्देशों के अलावा, इसमें संबंधित अधिकारियों को एक व्यापक, टाइम बाउंड मीडिया गैग ऑर्डर के लिए एक सक्षम अदालत में जाने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी.
इसमें सभी व्यक्तियों और अन्य लोगों को बातचीत में शामिल अधिकृत सरकारी एजेंसी से इजाजत लिए बिना किसी भी असत्यापित सामग्री या बयान को प्रकाशित करने से रोका जा सके. 14 अगस्त को, याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रिया को तत्काल कोई खतरा नहीं है. शीर्ष अदालत उस समय एक अलग याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र को केरल के पलक्कड़ की 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने के निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसे 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था.
निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल की वकील ने कहा कि समस्या इसलिए शुरू हुई क्योंकि इस व्यक्ति ने एक बैंक अकाउंट का ब्योरा देते हुए एक ट्वीट किया था जिसमें दावा किया गया था कि लोगों को यहीं डोनेशन भेजना चाहिए, विदेश मंत्रालय को तथ्य जांच कर यह बताना होगा कि यह सरकार की ओर से मंजूर खाता नहीं है.
गलत जानकारी को रोकना था मकसद
इस मामले में निमिषा को राहत यह है कि मामले पर मीडिया में बयान देने से भारत सरकार के अलावा किसी को भी रोकने के लिए गैग ऑर्डर जारी किया जाए. पॉल की दलील है कि अगर कुछ हुआ तो मुझे ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए. मैं वहां परिवार से बात कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि इस समय इस मामले में नाजुक बातचीत चल रही है और कुछ लोग गलत बयानबाजी कर रहे हैं.
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अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत सरकार स्थिति के विकसित होने पर ही प्रेस ब्रीफिंग देगी, याचिकाकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों को मीडिया में गलत या भड़काऊ जानकारी देते हुए प्रेस को बयान नहीं देना चाहिए. हस्तक्षेपकर्ता केए पॉल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे मृतक के परिवार के संपर्क में हैं. उन्होंने शर्त रखी है कि निमिषा प्रिया फाउंडेशन मीडिया से बात न करे.
पॉल ने कहा कि मैं दोनों सरकारों के साथ काम करने वाला एकमात्र अधिकृत व्यक्ति हूं. उन्होंने दलील थी कि निमिषा प्रिया फाउंडेशन ने मीडिया में झूठे बयान देकर और फर्जी बैंक खाते का विवरण जारी करके स्थिति को बिगाड़ दिया है.
सुप्रीम कोर्ट को पिछले महीने बताया गया था कि निमिषा की फांसी, जो 16 जुलाई को होनी थी, पर रोक लगा दी गई है. 18 जुलाई को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि कोशिशें जारी हैं और सरकार निमिषा की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया, 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई. वह यमन की राजधानी सना की जेल में कैद है.
अनीषा माथुर