खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई की टिप्पणियों पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. वकील विनीत जिंदल के बाद अब वकील सत्यम सिंह राजपूत ने भी खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति पर की गई जस्टिस गवई की टिप्पणियों का विरोध करते हुए चीफ जस्टिस गवई को खुला पत्र लिखा है.
वकील सत्यम सिंह ने सीजेआई से इन टिप्पणियों पर पुनर्विचार कर वापस लेने और 'सभी धार्मिक समुदायों का विश्वास बहाल करने' के लिए 'उचित स्पष्टीकरण' जारी करने की गुजारिश की है.
उन्होंने लिखा है कि भगवान विष्णु के एक समर्पित फॉलोअर के रूप में मैं व्यक्तिगत रूप से इन टिप्पणियों से स्तब्ध हूं. लाखों हिंदुओं की भगवान विष्णु के प्रति आस्था और भक्ति केवल व्यक्तिगत विश्वास का विषय नहीं है, बल्कि उनके आध्यात्मिक अस्तित्व और सांस्कृतिक पहचान का आधार है.
'धर्म की गरिमा को बनाए रखेंगे...'
वहीं, विनीत जिंदल ने अपने पत्र में लिखा है, "मैंने सनातन धर्म का अनुयायी होने के नाते ये पत्र सीजेआई को लिखा है. उनसे भगवान विष्णु और सनातनी आस्था के विरुद्ध उनके आपत्तिजनक वक्तव्य को तुरंत वापस लेने की मांग की गई है. इस पत्र की एक प्रति माननीय भारत के राष्ट्रपति को भी भेजी गई है, जिससे यह विषय राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान में लिया जाए. मेरी आशा है कि सर्वोच्च न्यायालय और माननीय राष्ट्रपति इस मामले को गंभीरता से लेंगे और भारत में प्रत्येक धर्म की गरिमा को बनाए रखेंगे."
क्या है पूरा मामला?
खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत और रखरखाव करने का आदेश देने की गुहार वाली अर्जी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह कहते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया कि यह विषय अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आता है. इसी दौरान सीजेआई गवई ने चुटकी लेने के अंदाज में टिप्पणी की कि अब तो आप स्वयं भगवान से ही प्रार्थना कीजिए. आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो अब उन्हीं से प्रार्थना कीजिए.
संजय शर्मा