सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के टूंडला में रामलीला उत्सव को जारी रखने की अनुमति दे दी. सर्वोच्च अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के एक हिस्से को स्थगित कर दिया, जिसने इस साल टूंडला में रामलीला समारोह पर रोक लगा दी थी.
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने आयोजकों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि रामलीला पिछले एक सदी से भी अधिक समय से स्कूल के खेल के मैदान में स्कूल के समय के बाद आयोजित होती रही है. इसमें बच्चों, उनके परिवारों और स्थानीय निवासियों की सक्रिय भागीदारी होती रही है.
आयोजकों ने तर्क दिया कि ये समारोह शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक होते हैं और इससे स्कूल की पढ़ाई या शैक्षणिक गतिविधियों में कोई बाधा नहीं आती. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य और स्थानीय निवासियों ने कभी कोई आपत्ति नहीं जताई. साथ ही उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका में याचिकाकर्ता का स्कूल या उसके छात्रों से कोई संबंध नहीं था.
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता से पूछा कि अचानक वे उच्च न्यायालय क्यों पहुंचे, जबकि रामलीला पिछले 100 वर्षों से इसी स्कूल के मैदान में आयोजित हो रही है. अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि उन्हें पहले प्रशासन से जाकर उचित व्यवस्था करने के लिए क्यों नहीं कहा.
दरअसल, रामलीला उत्सव पहले ही शुरू हो चुका था, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश के पैराग्राफ 11 में दी गई रोक को स्थगित कर दिया और रामलीला को इस शर्त पर जारी रखने की अनुमति दी कि इससे छात्रों को कोई असुविधा नहीं होगी.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय को जिला प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहना चाहिए कि भविष्य में ऐसे उत्सवों के लिए कोई वैकल्पिक स्थल खोजा जाए, ताकि स्कूल का खेल का मैदान केवल छात्रों के लिए सुरक्षित रहे. अदालत ने कहा कि प्रशासन से प्रस्ताव लिया जा सकता है और अंतिम निर्देश जारी करने से पहले सभी हितधारकों की राय ली जानी चाहिए.
सृष्टि ओझा