कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने गाजा में इजरायली रक्षा बलों (IDF) द्वारा लगाई गई सैन्य नाकेबंदी और वहां के हालात पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि इस नाकेबंदी ने गाजा के हालातों को और भी भयावह बना दिया है, जहां लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
सोनिया गांधी ने एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के लिए लिखे अपने लेख में इस नाकेबंदी को इंसानियत के खिलाफ एक जघन्य अपराध करार दिया है और इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद ने अपने लेख में लिखा कि गाजा में इजरायली रक्षा बलों ने न केवल सैन्य अभियान तेज किए हैं, बल्कि दवाओं, भोजन और ईंधन जैसी आवश्यक आपूर्तियों को भी जानबूझकर बाधित किया है. इस क्रूर रणनीति ने गाजा में रहने वाले लोगों को भूख, बीमारी और अभाव के कगार पर लाकर खड़ा किया है.
'बुनियादी ढांचे को किया नष्ट'
गांधी ने अपने लेख में लिखा, 'नाकेबंदी ने गाजा के बुनियादी ढांचे को अंधाधुंध तरीके से नष्ट कर दिया है और आम नागरिकों का बेरोकटोक नरसंहार एक मानव निर्मित त्रासदी को जन्म दे चुका है.'
'जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं लोग'
ये नाकेबंदी न केवल गाजा के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित कर रही है, बल्कि उनके जिंदा रहने के अधिकार को भी छीन रही है. अस्पतालों में दवाओं की कमी, भोजन की अनुपलब्धता और ईंधन की किल्लत ने लाखों लोगों को जिंदगी और मौत के बीच जूझने को मजबूर कर दिया है. उन्होंने इसे भूख से मरने को मजबूर करने की रणनीति करार देते हुए इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया.
उन्होंने इजरायल और हमास के संघर्ष के बीच भारत की भूमिका पर भी सवाल उठाया है. सोनिया गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा कि इजरायल द्वारा गाजा के लोगों पर किए जा रहे जुल्मों पर पीएम मोदी की शर्मनाक चुप्पी निराशाजनक है. अब वक्त आ गया है कि वह स्पष्ट और कड़े शब्दों में उस विरासत की ओर से आवाज उठाएं, जिसका भारत ने हमेशा प्रतिनिधित्व किया है.
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