लद्दाख में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यों से जुड़े सोनम वांगचुक पर अब गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं. सरकारी सूत्रों ने दावा किया है कि उनकी NGO और निजी संस्थानों में भारी गड़बड़ियां पाई गई हैं. आरोप है कि वांगचुक ने जन-आंदोलन की आड़ में न केवल कानून का उल्लंघन किया बल्कि विदेशी फंडिंग और निजी लाभ के लिए पैसों का गलत इस्तेमाल किया.
सोनम वांगचुक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. उनकी NGO SECMOL के खिलाफ जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) के FEMA के तहत जांच शुरू करने की संभावना है. SECMOL पर आरोप है कि उसने विदेशी चंदे और पैसों को लेकर सही जानकारी नहीं दी और एफसीआरए कानून के नियमों का पालन नहीं किया. साथ ही विदेश से मिले फंड्स लौटाने का भी आरोप है. इसी बीच, आज गृह मंत्रालय ने वांगचुक का FCRA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है, जो उनके खिलाफ उठाए गए गंभीर कदमों का हिस्सा है.
1. हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख - HIAL को मिले दान में 2023-24 में 6 करोड़ रुपये से 2024-25 में बढ़कर 15 करोड़ रुपये से अधिक का इजाफा हुआ. संस्था के 7 बैंक खाते हैं, जिनमें से 4 घोषित नहीं किए गए. बिना FCRA पंजीकरण के ही HIAL को 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी राशि मिली. HIAL से 6.5 करोड़ रुपये शेष्योन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड में ट्रांसफर किए गए.
2. स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) - इस संस्था के 9 बैंक खाते हैं, जिनमें से 6 का डिक्लेरेशन नहीं किया गया.
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3. शेष्योन इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड - वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का टर्नओवर 9.85 करोड़ रुपये रहा, लेकिन नेट प्रॉफिट केवल 1.14% रहा, जबकि 2023-24 में नेट प्रॉफिट 6.13% था.कंपनी के 3 खाते हैं, जिनमें से 2 घोषित नहीं किए गए.सरकारी सूत्रों के अनुसार, HIAL से बड़ी रकम इस निजी कंपनी में ट्रांसफर की गई.
4. सोनम वांगचुक (व्यक्तिगत) - सोनम वांगचुक के पास 9 व्यक्तिगत बैंक खाते हैं, जिनमें से 8 का डिक्लेरेशन नहीं किया गया. 2018 से 2024 तक विभिन्न खातों में 1.68 करोड़ रुपये की विदेशी राशि आई.
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2021 से मार्च 2024 के बीच वांगचुक ने अपने व्यक्तिगत खाते से 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे, जिनमें से कई ट्रांसफर अज्ञात संस्थाओं को किए गए. यह लेन-देन मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका को मजबूत करता है.
5. CSR फंडिंग - सोनम वांगचुक ने सार्वजनिक मंचों पर कॉरपोरेट जगत की आलोचना की है, लेकिन सरकारी सूत्रों का कहना है कि उनकी संस्था ने कई बड़ी कंपनियों और सरकारी उपक्रमों (PSUs) से CSR फंडिंग ली है. NGO खाते से निजी कंपनियों में बड़े पैमाने पर फंड ट्रांसफर भी हुए हैं.
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