लद्दाख में पेंगॉन्ग लेक पर चीन का दुस्साहस सामने आया है. यहां चीन एक और पुल का निर्माण कर रहा है. हाल ही में कुछ नई सेटेलाइट तस्वीरों से ये खुलासा हुआ है. इस पुल से चीन ने एक बार फिर एलएसी पर अपना दबदबा बढ़ाने का प्लान तैयार किया है. पेंगॉन्ग झील पर चीन ने एक पुल पहले ही बनाया हुआ है, उसी के बगल में एक चौड़ा प्लैटफॉर्म बनाया जा रहा है, जो आगे एक पुल में तब्दील होने वाला है.
आखिर इस निर्माण के पीछे चीन की असल मंशा क्या है और ये भारत के लिए कितनी चिंता का विषय है, ये सारे जवाब आपको इस रिपोर्ट में मिलेंगे.
जहां 5 महीने पहले पुल बनाया था, ठीक उसी के बगल में निर्माण
ये लद्दाख में चीन की साजिशों की वो तस्वीर है, जिसमें में वो भारत के खिलाफ अवैध निर्माण कर रहा है. सेटेलाइट तस्वीरों वाला सबूत ये बताता है कि चीन पेंगॉन्ग झील पर एक और अवैध पुल बनाने में जुटा है. इसी साल जनवरी में चीन ने पेंगॉन्ग झील पर 8 मीटर चौड़े और 315 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया था. अब ठीक इसी पुल के बगल में दूसरा पुल चीन बना रहा है.
1958 से इस इलाके में कब्जा किए है चीन
सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि दूसरे पुल के निर्माण के लिए पहले पुल का इस्तेमाल सर्विस पुल के रूप में किया जा रहा है, ये पुल पहले से काफी बड़ा और चौड़ा है. आजतक को मिली इन सेटेलाइट तस्वीर में दिख रहा है कि पेंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे को दक्षिणी किनारे से जोड़ने वाला ये ब्रिज उस क्षेत्र में बन रहा है जो 1958 से चीन के कब्जे में है.
एक-दो महीने में पुल बना लेगा चीन
ओपन-सोर्स इंटेलीजेंस, डेड्रस्फा ने सैटेलाइट इमेज के जरिए इस बात का खुलासा किया है. चीन ने पेंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे से इसी साल मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में इस पुल के निर्माण का काम शुरू किया था और अगले 1-2 महीने में इसका काम पूरा हो जाएगा.
सैनिकों को इकट्ठा करने में मददगार होगा पुल
इस पुल का उत्तरी और दक्षिणी हिस्सा तैयार है. अब बीच का हिस्सा बाकी है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा. पैंगॉन्ग झील पर चीन का नया पुल उस क्षेत्र में चीनी सेना को बेहतर लॉजिस्टिक्स उपलब्ध कराएगा और चीन को झील के किसी भी किनारे से सैनिकों को जल्दी इकट्ठा करने की क्षमता देगा.
पुल बनने से 150 किमी की दूरी कम होगी
पेंगॉन्ग के उत्तरी क्षेत्र के सैनिकों को अब अपने बेस तक पहुंचने के लिए पैंगोंग झील के आसपास लगभग 200 किलोमीटर की ड्राइव करने की जरूरत नहीं होगी. ये सफर अब पहले के मुकाबले करीब 150 किमी कम हो जाएगा. इस पुल के निर्माण के पीछे चीन की मंशा भी साफ जाहिर है, जिसे 2020 में तनाव के दौरान भारतीय सेना की तैयारियों और स्ट्रैटजिक लोकेशन के तोड़ के रूप में देखा जा रहा है.
पहले भी अवैध निर्माण करता रहा चीन
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन का ये पुल लद्दाख में एलएसी पर भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का जवाब है. ऐसा पहली बार नहीं, जब चीन ने LaC पर अवैध निर्माण किया है. गलवान से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन की चालबाजियों के सेटेलाइट सबूत सामने आते रहे हैं.
एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ अवैध कब्जे
चीन ने लद्दाख में एलएसी पर ना सिर्फ अपने एयरबेस अपग्रेड किए हैं बल्कि हाइवे को चौड़ा करने और एयर स्ट्रिप बनाने का काम भी शुरू कर दिया है. ये सारे काम चीन ने लद्दाख में समझौते के बाद किए हैं. यानी चीन एक तरफ तो भारत से बातचीत और समझौते का नाटक करता है और दूसरी तरफ LaC के तमाम इलाकों में अवैध कब्जे की फिराक में रहता है.
अंकित कुमार / अभिषेक भल्ला