'आक्रमण के दिन चले गए...अब राम मंदिर पर झंडा फहराने वाले', लखनऊ में बोले RSS चीफ मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भगवद् गीता नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रहे विश्व के लिए शाश्वत मार्गदर्शन प्रदान करती है. उन्होंने कहा, 'भारत कभी विश्वगुरु था. इसने सदियों तक आक्रमणों को सहन किया और अब भी कायम है, फिर से उठ खड़े होने के लिए.'

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हमारा देश दुनिया का विश्वगुरु था, बोले मोहन भागवत. (File Photo: ITG) हमारा देश दुनिया का विश्वगुरु था, बोले मोहन भागवत. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को लखनऊ में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के गौरवशाली इतिहास और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत कभी पूरे विश्व का विश्व गुरु था और दुनिया के लिए बड़ा सहारा बना रहा, लेकिन पिछले 1000 वर्षों में आक्रमणकारियों के पैरों तले रौंदा गया.

लखनऊ में गीता प्रेरणा महोत्सव को संबोधित करते हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि लोगों को गीता के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है.

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'हमें गुलामी में रहना पड़ा, तब भी भारतवर्ष था'

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, 'हमारा देश पूरे विश्व का विश्व गुरु था... भारत दुनिया के लिए बड़ा सहारा था... 1000 वर्षों तक ये आक्रमणकारियों के पैरों तले रौंदा गया. हमें गुलामी में रहना पड़ा. धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया. जबरन धर्मांतरण होने लगे. ये सब था. तब भी यह भारतवर्ष था. गौरव के वे दिन अब नहीं रहे. 'वो आक्रमण के दिन चले गए. अब राम मंदिर पर झंडा फहराने वाले हैं' यह तब भी भारत था, यह अब भी भारत है...'

'हमारा जीवन बदलेगा'

आरएसएस प्रमुख ने लोगों से गीता का अध्ययन करने, उसका अर्थ समझने और धीरे-धीरे उसकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, 'अगर हम गीता को अपनाएंगे, तो हमारा जीवन बदलेगा, समाज बदलेगा और भारत पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होगा.'

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उन्होंने कहा, 'हम यहां इसलिए हैं क्योंकि गीता को केवल सुनाना नहीं, बल्कि उसे जीना है। इसके 700 श्लोकों को पढ़ना, उन पर मनन करना और उन्हें अपने दैनिक जीवन में लागू करना चाहिए.'

आज दुनिया भटक गई है: RSS प्रमुख

कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में अर्जुन की दुविधा और वर्तमान वैश्विक स्थिति के बीच समानताएं दर्शाते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने कहा कि भौतिक प्रगति के बावजूद, आज दुनिया भटक गई है, थक गई है और दिशाहीन है. उन्होंने कहा, 'धन-दौलत और सुख-सुविधाएं तो हैं, लेकिन शांति नहीं, संतोष नहीं, नैतिक स्पष्टता नहीं.'

उन्होंने अंत में गीता के ज्ञान को सरल और व्यावहारिक व्याख्याओं के माध्यम से सुलभ बनाने की पहल की सराहना की.

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