सुसाइड अटैक, IED से धमाका... दिल्ली ब्लास्ट पर NIA का बड़ा खुलासा, i20 कार मालिक भी अरेस्ट

दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए कार आईईडी ब्लास्ट की जांच में एनआईए को बड़ी सफलता मिली है. एजेंसी ने कश्मीर निवासी अमीर रशीद अली को गिरफ्तार किया है, जिस पर आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप है.

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आत्मघाती हमलावर के सहयोगी अमीर रशीद अली की गिरफ्तारी हुई (File Photo: ITG/ PTI) आत्मघाती हमलावर के सहयोगी अमीर रशीद अली की गिरफ्तारी हुई (File Photo: ITG/ PTI)

अशरफ वानी / जितेंद्र बहादुर सिंह / अरविंद ओझा / मीर फरीद

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:34 AM IST

Delhi red fort blast case investigation update: दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए कार बम धमाके के मामले में एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को बड़ी कामयाबी मिली है. एजेंसी ने उस शख्स को गिरफ्तार किया है, जिसने आत्मघाती हमलावर के साथ मिलकर इस आतंकवादी साजिश को अंजाम दिया था.

गिरफ्तार आरोपी का नाम आमिर राशिद अली है. धमाके में इस्तेमाल की गई कार उसी के नाम पर रजिस्टर्ड थी. एनआईए ने उसे दिल्ली से पकड़ा. धमाके की जांच पहले दिल्ली पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में केस एनआईए को सौंपा गया. केस अपने हाथ में लेने के बाद एनआईए ने बड़ी तलाशी अभियान शुरू किया था, और उसी के दौरान आमिर गिरफ्त में आया.

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जांच में सामने आया कि आमिर जम्मू-कश्मीर के सांबूरा, पंपोर का रहने वाला है. उसने पुलवामा के उमर उन नबी नाम के शख्स के साथ मिलकर ये हमला प्लान किया था. आमिर दिल्ली इसलिए आया था ताकि उस कार को खरीदने में मदद कर सके, जिसे बाद में धमाके के लिए आईईडी (बम बनाने वाला उपकरण) के तौर पर इस्तेमाल किया गया.

गौर करने वाली बात है कि आमिर को 11 नवंबर को हिरासत में ले लिया गया था. हालांकि, लंबी पूछताछ के बाद उसके भूमिका स्थापित करने के बाद रविवार को उसे गिरफ्तार किया.

आमिर राशिद अली (Photo: ITG/ Ashraf Wani)

आत्मघाती हमलावर की पहचान

एनआईए ने फोरेंसिक जांच के जरिए उस ड्राइवर की पहचान की है जो धमाके के वक्त उसी कार में था. उसकी पहचान उमर उन नबी के रूप में हुई है. उमर पुलवामा का रहने वाला था और हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जनरल मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर था. यानी, जो खुद डॉक्टर था, वही आतंकवादी साजिश में शामिल निकला.

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अन्य वाहन जब्त, जांच जारी

एनआईए ने उमर उन नबी की एक और गाड़ी भी जब्त की है. अब उस गाड़ी की भी जांच की जा रही है ताकि और सबूत मिल सकें. अब तक एजेंसी 73 गवाहों से पूछताछ कर चुकी है, जिसमें धमाके में घायल लोग भी शामिल हैं. यह धमाका 10 नवंबर को दिल्ली में हुआ था, जिसने पूरे देश को हिला दिया था.

NIA की प्रेस रिलीज

एनआईए की ओर से जारी प्रेस रिलीज में इस हमले में कुल 10 लोगों की मौत बताई गई है. हालांकि, पहले अधिकारियों ने बताया था कि इस धमाके में 13 लोगों की जान गई.

कई राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय

एनआईए इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस, जम्मू-कश्मीर पुलिस, हरियाणा पुलिस, यूपी पुलिस और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कर रही है. जांच एजेंसी अब यह पता लगाने की कोशिश में है कि इस धमाके के पीछे कौन-कौन लोग और संगठन जुड़े हुए थे और उनकी साजिश कितनी बड़ी थी. यह केस नंबर RC-21/2025/NIA/DLI के तहत दर्ज है और जांच अब राज्य से राज्य तक फैल चुकी है.

दिल्ली विस्फोट की जांच करचे हुए सशस्त्र सुरक्षाकर्मी पुलवामा के करीमाबाद गांव पहुंचे (Photo: PTI)

20 डॉक्टरों से पूछताछ, सिर्फ चार मुख्य आरोपी ही गिरफ्त में

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दिल्ली धमाका मामले की जांच में सुरक्षा एजेंसियों का दायरा लगातार बढ़ रहा है और अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अब तक 20 से ज़्यादा डॉक्टरों से पूछताछ की जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश को छोड़ भी दिया गया है.

इसी तरह, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने करीब 200 लोगों को संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया, लेकिन इनमें से कई को बाद में रिहा कर दिया गया है. एजेंसियों का कहना है कि फिलहाल जांच शुरुआती चरण में है, इसलिए ज्यादातर कार्रवाइयां “सस्पिशन” यानी शक के आधार पर की जा रही हैं.

सूत्रों के मुताबिक, अब तक किसी को भी पुख़्ता सबूतों के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया गया है, सिवाय उन मुख्य आरोपियों के जिनके खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं. इनमें शामिल हैं - डॉ. अदील, डॉ. मुझम्मिल, डॉ. शाहीन और मौलवी इरफान. 

इन चारों को केस के मुख्य पात्र मानते हुए औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया है. बाकी सभी को सिर्फ पूछताछ और संदिग्ध गतिविधियों की पुष्टि के लिए हिरासत में लिया जा रहा है.

जांच एजेंसियों का कहना है कि पूरा मॉड्यूल काफी संगठित और तकनीकी समझ रखने वाला था, इसलिए जांच को कई स्तरों पर आगे बढ़ाया जा रहा है. फिलहाल किसी भी जानकारी को लेकर एजेंसियां आधिकारिक बयान देने से बच रही हैं क्योंकि जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है.

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दिल्ली धमाके मामले की जांच में रविवार को क्या-क्या हुआ?

दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके के मामले में रविवार को कई अहम घटनाक्रम सामने आए. सबसे पहले, लाल किला मेट्रो स्टेशन, जो धमाके के बाद सुरक्षा कारणों से बंद था, दोबारा खोल दिया गया. स्टेशन के सभी गेट अब सामान्य रूप से आम जनता के लिए खोल दिए गए हैं. लाल किले के सामने लगाया गया सफेद परदा भी हटा दिया गया है, जिससे इलाके में सामान्य गतिविधियां लौटती दिखीं.

लाल किले के पास, कार विस्फोट के कुछ दिनों बाद नेताजी सुभाष मार्ग को फिर से खोलने के बाद लोग घूमते नज़र आए (Photo: PTI)

उधर, अल फलाह यूनिवर्सिटी में भी सुरक्षा एजेंसियों की जांच जारी रही. यहां से धमाके के मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी और उसके नेटवर्क से जुड़े महत्वपूर्ण सुरागों की तलाश में लगातार छापेमारी चलती रही. दिनभर की कार्रवाई में पुलिस ने दो ऐसे संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें उमर नबी का करीबी बताया जा रहा है.

जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ. धमाका स्थल से मिले 9mm के कारतूस सीमित श्रेणी के पाए गए हैं. इन कारतूसों का सोर्स क्या है और ये कैसे वहां पहुंचे, इसका पता लगाने के लिए फॉरेंसिक और इंटेलिजेंस टीमें मिलकर काम कर रही हैं. धमाके में उपयोग किए गए विस्फोटकों और उनके नेटवर्क को समझने के लिए एजेंसियां कई कोणों से जांच कर रही हैं.

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पूरी जांच अब कई बड़े संदिग्धों और संभावित विदेशी कनेक्शनों की तरफ भी बढ़ रही है. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह मॉड्यूल काफी संगठित और तकनीकी रूप से सक्षम प्रतीत हो रहा है, इसलिए हर सुराग को गंभीरता से खंगाला जा रहा है.

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अब तक केस में और क्या-क्या अपडेट है?

हाल ही में घटनास्थल से 9mm कैलिबर के तीन कारतूस बरामद हुए हैं. जिनमें दो जिंदा और एक खाली खोखा शामिल है. ये कारतूस आम नागरिकों के लिए प्रतिबंधित होते हैं, लेकिन अब तक किसी हथियार का अवशेष मौके से नहीं मिला है. इसी वजह से जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि ये कारतूस वहां कैसे पहुंचे.

दिल्ली धमाके के बाद की तस्वीर - 10 नवंबर (Photo: PTI)

जांच के दौरान अल फलाह यूनिवर्सिटी से भी कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं. यहीं पर आरोपी उमर ने कार को कुछ समय के लिए खड़ा किया था और यहां से विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई थी. 

जांच एजेंसियों के अनुसार, उमर और उसके साथियों ने एक "व्हाइट-कॉलर" आतंकवादी मॉड्यूल चलाया था, जिसमें मेडिकल फील्ड से जुड़े लोग शामिल थे. 

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