राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ और बीजेपी के रिश्तों पर हुए सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि ये हो ही नहीं सकता कि सब कुछ संघ तय करता है. मैं 50 साल से शाखा चला रहा हूं. वो कई साल से राज्य चला रहे हैं. मेरी विशेषज्ञता वो जानते हैं, उनकी मैं जानता हूं.
मोहन भागवत ने आगे कहा, "इस मामले में सलाह तो दी जा सकती है, लेकिन फैसला उस फील्ड में उनका है और इस फील्ड में हमारा है. इसलिए हम तय नहीं करते हैं. हम तय करते तो इतना समय लगता क्या? हम तय नहीं करते हैं."
हाल ही में संसद के द्वारा पास हुए 'CM, PM के जेल में रहने पर पदमुक्त' किए जाने से जुड़े बिल से जुड़े सवाल पर भी मोहन भागवत ने जवाब दिया. उन्होंने कहा, "हमारा नेतृत्व स्वच्छ और पारदर्शी होना चाहिए. मैं समझता हूं इसमें सब सहमत हैं, संघ की भी वही सहमति है. कानून ऐसा होगा या नहीं इस पर डिबेट चल रहा है, संसद जैसा तय करेगी, वैसा होगा. इस परिणाम यह होना चाहिए कि सबके मन में यह विश्वास होना चाहिए कि हमारा नेतृत्व स्वच्छ और पारदर्शी है."
'मशाल लेकर संघ का कार्यालय जलाने...'
अन्य राजनैतिक दलों का संघ साथ क्यों नहीं देता है, कुछ राजनीतिक दल संघ के विरोधी नजर आते हैं, क्या उनके मन में परिवर्तन की संभावनाएं दिखती हैं?
इस सवाल पर मोहन भागवत ने कहा, "1948 में जलती मशाल लेकर जयप्रकाश बाबू संघ का कार्यालय जलाने चले थे. इमरजेंसी के बाद उन्होंने कहा कि परिवर्तन की उम्मीद आप लोगों से ही है."
उन्होंने कहा, "प्रणव दा के अंदर संघ के बारे में जो गलतफहमियां थीं, वो दूर हुईं. अगर वास्तव में मनुष्य है, तो मन में हमेशा परिवर्तन संभव है. किसी का जल्दी हो जाता है, किसी को बहुत देर लग जाती है. मन परिवर्तन की संभावना को कभी नकारना नहीं चाहिए."
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मोहन भागवत ने नागपुर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, "अच्छे काम के लिए जो हमसे सहायता मांगते हैं, हम उनको सहायता देते हैं. हम सहायता करने जाते हैं, तो जो दूर भागते हैं, उनको सहायता नहीं मिलती है, हम क्या करें. नागपुर में NSUI का अधिवेशन हुआ था, भोजन की व्यवस्था में गड़बड़ हुई, मारपीट हो गई. तीस हजार लोग थे. कुछ लोग बाजारों में घुस गए. मुझे फोन आया था, मैं नागपुर का प्रचारक था, उस समय नागपुर के एमपी ने फोन किया और का हमारी मेस शुरू करने के लिए आपकी मदद चाहिए. 11 मेस थीं, जिनसे से सात मेस को शुरू करने में हमने मदद की. हम किसी को पराया नहीं मानते हैं, हमारी तरफ से कोई रुकावट नहीं है, उधर से रुकावट है, तो हम इच्छा का सम्मान करके रुक जाते हैं."
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