'कमाई के लिए मजाक बर्दाश्त नहीं, बिना शर्त माफी मांगें...', स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और यूट्यूबर्स पर दिव्यांगों का मजाक उड़ाने को लेकर सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने कहा कि यह फ्री स्पीच नहीं, बल्कि कमर्शियल स्पीच है. इन्फ्लुएंसर्स को माफी मांगनी होगी और अफिडेविट देना होगा. I&B मंत्रालय को गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया गया है.

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समय रैना के शो में रणवीर इल्लाबादिया की टिप्पणी के बाद विवाद शुरू हुआ था (File Photo) समय रैना के शो में रणवीर इल्लाबादिया की टिप्पणी के बाद विवाद शुरू हुआ था (File Photo)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया और YouTube इन्फ्लुएंसर्स पर सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर कमाई करने वाले इन्फ्लुएंसर्स का कंटेंट फ्री स्पीच की कैटेगरी में नहीं आता. इसे कॉमर्शियल स्पीच माना जाएगा. कोर्ट ने साथ ही स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को बिना शर्त माफी मांगने को कहा है. समय रैना के शो में रणवीर इलाहाबादिया की टिप्पणी के बाद विवाद शुरू हुआ था.

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यह मामला तब सामने आया जब स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, निशांत जगदीश तंवर और सोनाली ठक्कर उर्फ सोनाली आदित्य देसाई पर दिव्यांगजनों को लेकर असंवेदनशील टिप्पणियां करने के आरोप लगे. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी कॉमेडियन्स को अपने YouTube चैनल और पॉडकास्ट पर दिव्यांगजनों से बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही रणवीर इलाहाबादिया को भी बिना शर्त माफी मांगने को कहा है. उन्होंने समय रैना के ही शो में माता-पिता पर कथित रूप से भद्दी टिप्पणियां की थी. इसको लेकर सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ गई थी और उन्हें चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. बाद में समय रैना को अपना शो "India's Got Latent" बंद करना पड़ा था.

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SMA ग्रसित बच्चों के माता-पिता की सराहना

कोर्ट ने कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से जूझ रहे बच्चों के परिवारों ने जो कदम उठाया है, वह बेहद साहसिक है. उन्होंने कॉमेडियन समय रैना की टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी और इसे बच्चों का अपमान बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन्फ्लुएंसर्स और कॉमेडियन्स को न सिर्फ़ सार्वजनिक माफी मांगनी होगी बल्कि एक शपथपत्र भी देना होगा जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि वे अपने सोशल मीडिया प्रभाव का इस्तेमाल दिव्यांगजनों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने में कैसे करेंगे.

आईबी मंत्रालय को गाइडलाइन्स बनाने का निर्देश

कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसे मामलों में इन इन्फ्लुएंसर्स पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) को निर्देश दिया गया है कि वह सोशल मीडिया पर इस्तेमाल होने वाली भाषा को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन्स तैयार करे. कोर्ट ने कहा कि यह गाइडलाइन्स किसी एक घटना पर जल्दबाज़ी में न बने, बल्कि तकनीक और सोशल मीडिया से जुड़े व्यापक मुद्दों को ध्यान में रखकर बनाई जाएं.

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इसके लिए मंत्रालय को NBDSA और अन्य स्टेकहोल्डर्स से सलाह-मशविरा करने को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब कॉमेडियन्स को हर सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने की जरूरत नहीं होगी. वहीं, इन इन्फ्लुएंसर्स पर उपयुक्त पेनल्टी लगाने का निर्णय बाद में लिया जाएगा.

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