भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में शिफ्ट होंगे 12वीं सदी के हीरे-जवाहरात... 46 साल बाद खुला था खजाना

पुरी के जगन्नाथ मंदिर में ऐतिहासिक क्षण आने वाला है. 12वीं शताब्दी के कीमती हीरे-जवाहरात और भगवान जगन्नाथ के आभूषण 23 सितंबर को वापस मूल रत्न भंडार में शिफ्ट किए जाएंगे. यह खजाना बेहद सावधानी के साथ मरम्मत के लिए चार दशक बाद खोला गया था. अब मरम्मत पूरी हो चुकी है तो खजाना फिर से अपनी जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है.

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चार दशक बाद खुला था जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार. (File Photo: PTI) चार दशक बाद खुला था जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार. (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • पुरी,
  • 18 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:20 AM IST

पुरी का जगन्नाथ मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक घटना का साक्षी बनने जा रहा है. मंदिर प्रशासन ने घोषणा की है कि 12वीं शताब्दी के कीमती हीरे-जवाहरात और आभूषण 23 सितंबर को वापस मंदिर के मूल रत्न भंडार में शिफ्ट किए जाएंगे. जुलाई 2024 में मंदिर का यह रत्न भंडार चार दशक बाद मरम्मत के लिए खोला गया था. इस दौरान भगवान जगन्नाथ के आभूषण, जवाहरात और अन्य कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया था.

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एजेंसी के अनुसार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अब मंदिर के रत्न भंडार की मरम्मत का काम पूरा कर लिया है. इसी वजह से कीमती खजाने को फिर से उसकी मूल जगह पर लौटाया जा रहा है.

शुभ मुहूर्त में होगी शिफ्टिंग

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने बताया कि शिफ्टिंग का काम 23 सितंबर की सुबह 7:17 से 11:17 बजे के बीच होगा. अगर एक ही दिन में प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई तो इसे 24 सितंबर को भी जारी रखा जाएगा. पाधी ने स्पष्ट किया कि शिफ्टिंग के दौरान मंदिर की दैनिक पूजा-पाठ और अनुष्ठान प्रभावित नहीं होंगे, हालांकि श्रद्धालुओं के दर्शन की व्यवस्था थोड़ी बदली जाएगी.

यह भी पढ़ें: पुरी जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में कोई सीक्रेट तहखाना तो नहीं है? पता लगाने के लिए लेजर स्कैनिंग कराएगी ओडिशा सरकार

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रत्न भंडार में आभूषण और जवाहरात लोहे की अलमारियों और संदूकों में रखे जाएंगे. पूरी प्रक्रिया के दौरान एक मजिस्ट्रेट मौजूद रहेगा, ताकि कार्य सुचारू और सुरक्षित तरीके से हो सके. शिफ्टिंग के बाद रत्न भंडार को अधिकारियों की मौजूदगी में सील कर दिया जाएगा और चाबी को जिले के खजाने (ट्रेजरी) में जमा कर दिया जाएगा.

रत्न भंडार में मौजूद खजाने की अंतिम सूची मंदिर प्रबंधन समिति तैयार करेगी, जिसकी अध्यक्षता गजपति महाराज दिब्य सिंह देब, पुरी के पारंपरिक शासक, करेंगे. इसी बीच, ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने भुवनेश्वर में कहा कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंदिर के हुण्डी (दान पात्र) को नाटा मंडप से हटाने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है. 

श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की नई व्यवस्था लागू की जा रही है. पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार हिंदू आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. चार दशक बाद इसका खुलना और कीमती आभूषणों का मूल स्थान पर लौटना भक्तों के लिए ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण होगा.

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