महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी से जुड़े पुणे भूमि सौदे मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है और किसी को बचाने का कोई सवाल ही नहीं है.
सीएम फडणवीस ने गढ़चिरौली में मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हस्ताक्षरकर्ताओं और विक्रेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा. कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है.'
उधर, शुक्रवार शाम को अजित पवार ने सौदे के रद्द होने की जानकारी दी और कहा कि पार्थ को ये पता नहीं था कि जमीन सरकारी है.
कंपनी को चुकानी होगी दोगुनी स्टाम्प ड्यूटी
अजित पवार की घोषणा के बाद ये बात सामने आई है कि अमाडिया इंटरप्राइजेज एलएलपी को रद्दीकरण के लिए दोगुना स्टाम्प शुल्क, यानी 42 करोड़ रुपये, देना होगा.
पंजीयन एवं स्टांप विभाग ने पार्थ पवार के चचेरे भाई और अमाडिया इंटरप्राइजेज एलएलपी के पार्टनर दिग्विजय अमरसिंह पाटिल को सूचित किया है कि कंपनी को पहले 7 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी (महाराष्ट्र स्टांप एक्ट के तहत 5 प्रतिशत, 1 प्रतिशत लोकल बॉडी टैक्स और 1 प्रतिशत मेट्रो सेस) चुकानी होगी, क्योंकि उन्होंने भूमि पर डेटा सेंटर प्रस्ताव का हवाला देकर छूट मांगी थी.
कई लोगों पर FIR दर्ज
रजिस्ट्रार महानिरीक्षक कार्यालय द्वारा दायर शिकायत के आधार पर पिंपरी चिंचवाड़ पुलिस ने दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और सब-रजिस्ट्रार आर बी तारू के खिलाफ कथित गबन और धोखाधड़ी के लिए FIR दर्ज की है. शुक्रवार को पुणे में पाटिल, तेजवानी और तहसीलदार सूर्यकांत येवले के खिलाफ एक और FIR दर्ज की गई.
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि FIR में पार्थ पवार का नाम नहीं है, क्योंकि बिक्री दस्तावेजों पर हस्ताक्षर के वक्त वह सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में मौजूद नहीं थे. सरकार ने तारू और येवले को निलंबित कर दिया है.
संयुक्त निरीक्षक महानिरीक्षक (स्टाम्प और पंजीकरण) राजेंद्र मुठे ने कहा कि इस साल मई में बिक्री विलेख के समय अमाडिया के प्रस्ताव में कहा गया था कि उन्होंने स्टाम्प ड्यूटी छूट की मांग की थी और कहा था कि उक्त भूमि पर एक डेटा सेंटर प्रस्तावित है. हालांकि, जांच के दौरान पता चला कि इस तरह के प्रस्ताव को छूट नहीं दी जा सकती. इसलिए, कंपनी को पिछली 7 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी और रद्दीकरण विलेख को निष्पादित करने के लिए अतिरिक्त 7 प्रतिशत का भुगतान करना होगा.
क्या है मामला
दरअसल, ये विवाद पुणे के मुंधवा क्षेत्र में 40 एकड़ सरकारी भूमि की कथित अवैध बिक्री से संबंधित है, जिसकी कीमत कथित तौर पर लगभग 1,800 करोड़ रुपये है. विपक्षी नेता दावा कर रहे हैं कि ये भूमि पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी ने 300 करोड़ रुपये में खरीदी थी और उसे स्टांप ड्यूटी में छूट दी गई थी. ये पूरा मामला जांच के दायरे में आया जब ये पता चला कि यह जमीन 'मुंबई सरकार' की थी, और सौदे को निष्पादित करते वक्त, फर्म को उप-पंजीयक तारू के साथ मिलीभगत करके कथित तौर पर 7 प्रतिशत स्टांप शुल्क में छूट दी गई थी, जिन्होंने उप-पंजीयक कार्यालय में सौदे को निष्पादित किया था.
वहीं, पार्थ पवार और उनके चचेरे भाई दिग्विजय पाटिल की सह-स्वामित्व वाली फर्म अमाडिया एंटरप्राइजेज ने शीतल तेजवानी के साथ एक समझौता किया, जिसके पास 272 कथित भूमि मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाली पावर ऑफ अटॉर्नी थी और मुंधवा में 40 एकड़ जमीन के लिए 300 करोड़ रुपये में बिक्री विलेख निष्पादित किया.
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