पुणे के विश्रांतवाड़ी निवासी 82 वर्षीय रिटायर्ड राज्य सरकारी अधिकारी को 'डिजिटल अरेस्ट' स्कैम के जरिए 1.19 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले साइबर ठगों ने न केवल उनकी जिंदगी की कमाई छीन ली, बल्कि सदमे से उनकी जान भी ले ली. उत्पीड़न और वित्तीय नुकसान के तनाव के चलते पीड़ित 22 अक्टूबर को घर पर गिर पड़े और अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. मृतक की पत्नी ने बाद में साइबर पुलिस से संपर्क किया और औपचारिक शिकायत दर्ज कराई.
एफआईआर के अनुसार, धोखाधड़ी की शुरुआत 16 अगस्त को हुई जब रिटायर्ड अधिकारी को एक फोन आया. कॉलर ने खुद को मुंबई पुलिस का 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' बताया और झूठा आरोप लगाया कि अधिकारी के बैंक खाते और आधार नंबर एक प्राइवेट एयरलाइन कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में इस्तेमाल हो रहे हैं. बाद में ठग ने खुद को सीबीआई के दिल्ली कार्यालय से एक आईपीएस अधिकारी बताया और धमकी दी कि सहयोग न करने पर दंपति को 'होम अरेस्ट' या 'जेल अरेस्ट' में डाला जा सकता है.
तीन दिन तक रखा 'डिजिटल अरेस्ट'
पुणे साइबर पुलिस के डीसीपी विवेक मसाल ने बताया कि आरोपियों ने बुजुर्ग व्यक्ति का फोन कैमरा चालू करवाया और दंपति को तीन दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा. इस अवधि के दौरान, उन्होंने संवेदनशील वित्तीय और व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त की और जांच के बहाने लगातार दंपति से पूछताछ करते रहे. डीसीपी मसाल ने पुष्टि की कि उत्पीड़न और वित्तीय नुकसान के कारण पति गहरे तनाव में थे, जिसका संभवत: उनकी मौत में योगदान रहा.
ठगों ने मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसे की मांग की और ट्रांसफर के लिए पांच बैंक खाता संख्याएं प्रदान कीं. दंपति ने अपनी पूरी बचत, जिसमें विदेश में रहने वाली उनकी बेटियों से प्राप्त फंड भी शामिल था, को ट्रांसफर कर दिया. जब कॉल आने बंद हो गए, तो उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें ठगा गया है. दंपति की तीन बेटियां विदेश में रहती हैं.
ओमकार