महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श हादसे में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस की जांच में अब सामने आया है कि शराब के नशे में धुत नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड सैंपल से ही बदला गया था.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक नाबालिग लड़के की मां शिवानी अग्रवाल ने पुणे के ससून जनरल अस्पताल में अपना ब्लड सैंपल दे दिया था. इस सैंपल को ही उनके बेटे के सैंपल के साथ बदल दिया गया.
दोनों डॉक्टर पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार
बता दें कि ब्ल्ड सैंपल में हेराफेरी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हलनोर और उनके स्टाफ ने की थी. इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद डॉ. हलनोर और डॉ. अजय तावड़े को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि, शिवानी अग्रवाल इन दोनों के अरेस्ट होने के बाद से फरार चल रही हैं. पुलिस उन्हें ढूंढने की कोशिश कर रही है.
तावड़े के कहने पर बदले गए ब्लड सैंपल
बता दें कि पुणे के एक नामी बिल्डर के नाबालिग बेटे ने 19 मई को एक रेस्टोरेंट-क्लब में जमकर शराब पी थी. इसके बाद उसने तेज रफ्तार पोर्श कार चलाकर एक बाइक को टक्कर मार दी थी. इस हादसे में दो आईटी प्रोफेशनल्स की मौत हो गई थी. पुलिस के मुताबिक नाबालिग के सैंपल लेने वाले डॉ. हलनोर का कहना है कि उन्होंने डॉ. तावड़े के निर्देश पर ब्लड सैंपल बदला था.
विधायक की सिफारिश पर डीन की नियुक्ति
अस्पताल के डीन विनायक काले का दावा है कि नाबालिग के ब्लड सैंपल बदलने वाले आरोपी डॉ. तावड़े को विधायक सुनील टिंगरे की सिफारिश के बाद नियुक्त किया गया था. सिफारिश के बाद ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने इस नियुक्ति को मंजूरी दी थी. विनायक काले ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट और ड्रग मामलों में आरोपी होने के बावजूद डॉ. तावड़े को फॉरेंसिक मेडिकल विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया.
नाबालिग के पिता और डॉक्टर के बीच 14 कॉल
पुलिस सूत्रों ने बताया कि नाबालिग के रक्त के नमूने एकत्र किए जाने से पहले, नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने डॉ. तावड़े से वाट्सऐप और फेसटाइम कॉल के साथ-साथ एक जनरल कॉल के जरिए बात की थी. दोनों के बीच कुल 14 बार कॉलिंग हुई. ये कॉल 19 मई की सुबह 8.30 बजे से 10.40 बजे के बीच किए गए थे. बता दें कि नाबालिग के ब्लड सैंपल सुबह 11 बजे लिए गए थे.
आरोपी को बचाने के लिए सबूतों से छेड़छाड़!
दरअसल, फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट में पहले ब्लड सैंपल में अल्कोहल नहीं पाया गया. संदेह होने पर एक दूसरे अस्पताल में फिर टेस्ट किया गया. यहां डीएनए टेस्ट से खुलासा हुआ कि ब्लड सैंपल दो अलग-अलग व्यक्तियों के थे. दूसरे टेस्ट की रिपोर्ट सामने आने के बाद पुलिस को शक हुआ कि ससून अस्पताल के डॉक्टरों ने आरोपी को बचाने के लिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है.
दिव्येश सिंह