'कई लोग गाय को पशु नहीं मानते...', PM मोदी ने सुनाया एनिमल लर्वस का मजेदार किस्सा, लगे ठहाके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आवारा कुत्तों के स्थानांतरण को लेकर चल रही बहस पर मजाकिया टिप्पणी करते हुए पशु प्रेमियों के डबल स्टैंडर्ड पर तंज कसा. विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत में कई पशु प्रेमी गाय को जानवर नहीं मानते. प्रधानमंत्री की ये बात सुनकर वहां मौजूद लोग हंसने लगे.

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ज्ञान भारतम पोर्टल लॉन्च के दौरान पीएम मोदी ने पशु प्रेमी से मुलाकात का किस्सा साझा किया (File Photo: PTI) ज्ञान भारतम पोर्टल लॉन्च के दौरान पीएम मोदी ने पशु प्रेमी से मुलाकात का किस्सा साझा किया (File Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:46 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में 'ज्ञान भारतम्' नाम का एक नया डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया है. दिल्ली के विज्ञान भवन में कार्यक्रम का शुक्रवार शाम को आयोजन हुआ. यह पोर्टल ख़ासकर भारत के पांडुलिपियों को डिजिटल रूप में सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए बनाया गया है. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एनिमल लवर्स के साथ मुलाक़ात का मजेदार किस्सा सुनाया और पशु प्रमियों की सोच पर भी सवाल उठाया है. 

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प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उन्होंने हाल में ही एक पशु प्रेमी से मुलाक़ात की थी. प्रधानमंत्री की यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग हंसने लगे. फिर प्रधानमंत्री ने कहा, 'आप लोगों को हंसी क्यों आ रही है? हमारे देश में ऐसे बहुत से लोगों हैं जो कि ख़ासकर गाय को पशु नहीं मानते हैं.' प्रधानमंत्री की यह बात सुनकर लोग और हंसने लगे. 

प्रधानमंत्री की ओर से ये टिप्पणी ऐसे समय आई है जब दिल्ली के आवारा कुत्तों का मामला हाल में ही सुर्खियों में बना हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले तो राजधानी के सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया था. हालांकि, बाद में कोर्ट ने कहा कि रैबीज या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को छोड़कर, अन्य सभी कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ दिया जाए. 

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बता दें कि मोदी सरकार गायों के कल्याण के लिए समय-समय पर कदम उठाते रहती है. जैसे - राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बनाना. 

क्या है ज्ञान भारतम् पोर्टल?

ज्ञान भारतम् पोर्टल के ज़रिए भारत की सांस्कृतिक विरासत को बचाने और बढ़ावा देने की कोशिश है. देशभर के विभिन्न हिस्सों से लगभग एक करोड़ से ज्यादा पांडुलिपियों को ढूंढ़कर एकत्रित किया जाएगा और फिर उसका डिजिटलाइजेशन होगा. इस पोर्टल के ज़रिए युवा पीढ़ी अपने संस्कृति को और बेहतर से समझ सकेगी और उन्हें जुड़ने का अवसर मिलेगा.

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