सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला जिसके विरोध में PM मोदी से मिले बीजेपी के SC/ST सांसद

सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने को मंजूरी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं.

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पीएम मोदी से मिले एससी-एसटी सांसद पीएम मोदी से मिले एससी-एसटी सांसद

पीयूष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के सांसदों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. इस दौरान इन सांसदों ने पीएम मोदी को एक ज्ञापन भी सौंपा.

बीजेपी के SC/ST सांसदों ने संसद भवन में पीएम मोदी से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपकर ये मांग की कि हमारे समाज में कोटे के अंदर कोटे से जुड़ा फैसला लागू नहीं हो. 

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कोटे में कोटा दिए जाने को मंजूरी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े तबके को अलग से रिजर्वेशन दे सकते हैं.

देश में अभी अनुसूचित जाति (एससी) को 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 7.5 फीसदी आरक्षण मिलता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी और एसटी की जातियों के इसी 22.5 फीसदी के आरक्षण में ही राज्य सरकारें एससी और एसटी के कमजोर वर्गों का अलग से कोटा तय कर सकेंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कोटे के अंदर कोटे की अनुमति राज्य सरकारों को देते हुए का था कि राज्य अपनी मर्जी और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के आधार पर फैसला नहीं ले सकते. अगर ऐसा होता है तो उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है.

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अगर कोई राज्य किसी जाति को कोटे के अंदर कोटा देती है तो उसे साबित करना होगा कि ऐसा पिछड़ेपन के आधार पर ही किया गया है. ये भी देखा जाएगा कि किसी एससी-एसटी के कुल आरक्षण का उसके किसी एक वर्ग को ही 100% कोटा न दे दिया जाए.

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