संसद के सेंट्रल हॉल में शुक्रवार को सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का नेता चुना गया. संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में बैठक को संबोधित किया. उन्होंने न सिर्फ बीते 10 साल में गठबंधन की सफलताओं और उपलब्धियों पर बात की जबकि विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब चार जून को चुनावी नतीजे आ रहे थे, मैं काम में व्यस्त था. फोन कॉल आना शुरू हो गए थे. मैंने किसी से पूछा कि आंकड़े तो ठीक है लेकिन मुझे ये बताओ कि ईवीएम जिंदा है या मर गया. क्योंकि ये लोग (विपक्ष) तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास ही उठ जाए और लगातार ये लोग ईवीएम को गाली दे रहे थे.
ईवीएम को लेकर विपक्ष को घेरा
उन्होंने कहा कि मुझे तो लग रहा था कि इस बार ईवीएम की अर्थी लेकर जुलूस निकालेंगे. लेकिन चार जून शाम आते-आते उनको ताले लगे गए. ईवीएम ने उनको चुप कर दिया. ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है. मुझे उम्मीद है कि मुझे अगले पांच सालों तक ईवीएम का रोना सुनने को नहीं मिलेगा. लेकिन जब हम 2029 के चुनाव में जाएंगे तो शायद वे दोबारा ईवीएम का रोना रोएं. देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.
मोदी ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि INDI वाले पहले तो डूब रहे थे, लेकिन अब तेज गति से गर्त में जाने वाले हैं. साथियों INDI अलायंस वाले देश के सामान्य नागरिकों को समझते नहीं हैं. इनका चार तारीख के बाद जो व्यवहार रहा है. मैं आशा करता हूं कि उनमें ये संस्कार आएं. ये वे लोग हैं जो खुद की पार्टी के पीएम का अपमान करते थे. उनके फैसले को फाड़ देते थे. विदेशी मेहमान आ जाए तो कुर्सी नहीं होती थी.
हम जीत को पचाना जानते हैं
इस बीच मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में पवन कल्याण की तारीफ करते हुए कहा कि ये पवन नहीं है, ये आंधी है. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार में हम अगले 10 साल में गुड गवर्नेंस, विकास, सामान्य मानवीय जीवन में सरकार की दखल जितनी कम हो, उतना कम करने का प्रयास करेंगे. उसी से लोकतंत्र की मजबूती है. आज के टेक्नोलॉजी के युग में हम बदलाव चाहते हैं. विकास का नया अध्याय लिखेंगे. गुड गवर्नेंस का अध्याय लिखेंगे. जनता जर्नादन के विकास का नया अध्याय लिखेंगे और विकसित भारत के सपने को साकार करके रहेंगे.
उन्होंने कहा कि हम न हारे थे और न हारे हैं. चार तारीख के बाद हमारा जो व्यवहार रहा है, वो दिखाता है कि हम जीत को पचाना जानते हैं. जीत के समय उन्माद पैदा नहीं होता है. हम पराजय का उपहास भी नहीं करते हैं. ये हमारे संस्कार हैं. दस साल बाद भी कांग्रेस 100 के आंकड़े को नहीं छू पाई. अगर 2014, 2019 और 2024 के चुनाव को जोड़कर कहूं तो तीन चुनाव में इन्हें जितनी सीटें मिली हैं, उससे ज्यादा हमें इस चुनाव में मिली है.
बता दें कि देश में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने जा रही है. एनडीए ने 293 सीटें जीती हैं. बीजेपी को 240, टीडीपी को 16, जेडीयू को 12, शिवसेना को 7, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 सीटें मिली हैं. जेडीएस, आरएलडी, जेएसपी को दो-दो सीटें मिली हैं. अपना दल (S), AGP, AJSUP, HAM(S), NCP, SKM, UPPL को एक-एक सीट मिली है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक को 234 सीटें मिली हैं. 543 सीटों वाले सदन में बहुमत के लिए 272 सदस्यों का होना जरूरी है.
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