प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार को जीएसटी पर दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन के कई आर्थिक और राजनीतिक मायने हैं. पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के टैरिफ और एच1बी वीजा की पाबंदियों के बीच घरेलू स्तर पर इन चुनौतियों का समाधान देने का प्रयास किया है. हमेशा की तरह जनता से सीधे संवाद कर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी की मुहिम में उन्हें साझेदार बनने का आह्वान भी किया.
प्रधानमंत्री ने जीएसटी सुधारों पर सरकार के कदम के बारे में सरल ढंग से लोगों को समझा कर इसे स्वदेशी आंदोलन से भी जोड़ा. राजनीतिक तौर पर भी उनका यह संबोधन अहम है क्योंकि जल्दी ही बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान होना है.
आर्थिक तौर पर क्या हैं मायने
1. सरल कर ढांचा लागू: अब केवल दो मुख्य स्लैब—5 फीसदी और 18 फीसदी - जबकि विलासिता वस्तुओं पर 40 फीसदी टैक्स लगेगा. इससे कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और सरल हो गई है.
2. बचत को बढ़ावा: पीएम मोदी ने इसे “जीएसटी बचत उत्सव” कहा, जिससे आम जनता को 2.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित बचत होगी.
3. MSME को राहत: छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए टैक्स नियम आसान हुए हैं, जिससे उनकी बिक्री और मुनाफा बढ़ने की उम्मीद है.
4. उपभोक्ता हित में सुधार: रोजमर्रा की ज़रूरी चीज़ें या तो कर-मुक्त हो गई हैं या केवल 5 फीसदी टैक्स के दायरे में हैं.
5. आत्मनिर्भर भारत को गति: स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और ‘मेड इन इंडिया’ को अपनाने की अपील की गई.
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राजनीतिक संदेश
1. राष्ट्रवाद का तड़का: संबोधन में ‘नागरिक देवो भवः’ जैसे भावनात्मक मंत्रों का प्रयोग कर राष्ट्रवाद को उभारा गया.
2. विपक्ष पर अप्रत्यक्ष वार: राहुल गांधी के ‘Gen-Z’ और ‘वोट चोरी’ वाले बयान के बाद यह संबोधन आया, जिसे राजनीतिक जवाब के रूप में देखा जा रहा है.
3. चुनावी रणनीति का हिस्सा: बिहार चुनाव से पहले यह भाषण जनता को आर्थिक राहत और राष्ट्रवाद के संदेश से जोड़ने की कोशिश है.
4. युवा और मध्यम वर्ग को साधना: आयकर छूट सीमा बढ़ाने और टैक्स सरलीकरण से युवाओं व नव-मध्यम वर्ग को आकर्षित करने की रणनीति.
5. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि: अमेरिकी टैरिफ और H1B वीजा विवाद के संदर्भ में भारत की स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास भी इस संबोधन में झलकता है.
पीएम मोदी का संबोधन केवल कर सुधारों की घोषणा नहीं, बल्कि एक बहुआयामी राजनीतिक और आर्थिक संदेश था. उनका संबोधन सरकार की नीति, दृष्टिकोण और आगामी चुनाव के लिए उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है.
हिमांशु मिश्रा