मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर, SIT गठन की मांग

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा ने चिंता बढ़ा दी है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई. याचिका में एसआईटी गठन और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी की मांग की गई. याचिका में सरकारी विफलताओं और कथित मिलीभगत पर भी सवाल है.

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मुर्शिदाबाद हिंसा मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट मुर्शिदाबाद हिंसा मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

संजय शर्मा / अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. मुर्शिदाबाद हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी के गठन की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक शेखर झा ने यह जनहित याचिका दाखिल की है.

राज्य सरकार से स्पष्टीकरण की मांग

याचिका में राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति में विफलता के लिए पश्चिम बंगाल सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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धार्मिक स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार पर चिंता

याचिका में कहा गया है कि राज्य में जिस तरह से विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए और विशेष रूप से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया, उससे जीवन के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गंभीर संवैधानिक चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं.

सांप्रदायिक पैटर्न और अराजकता की स्थिति

इसके अलावा, स्थिति अराजकता और सांप्रदायिक पैटर्न को दर्शाती है, जैसा कि राज्य में हुई कई पिछली हिंसात्मक घटनाओं में देखा गया है.

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पीड़ितों से संपर्क नहीं कर पाए अधिकारी

याचिका में कहा गया है कि किसी भी राहत के लिए संबंधित सरकारी अधिकारियों ने पीड़ितों से संपर्क नहीं किया. पिछले एक सप्ताह से बंगाल में हिंसा इतनी अधिक है कि ऐसे समय में संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है.

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अदालत से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

यह मामला गंभीर चिंता का विषय है और इसमें अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता बताई गई है.

राज्य मशीनरी की संभावित मिलीभगत का आरोप

याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य में जारी ऐसी घटनाएं राज्य मशीनरी की संभावित मिलीभगत का संकेत देती हैं.

हिंदू समुदाय के पलायन की स्थिति

याचिका में कहा गया है, 'स्थिति इतनी विकट हो गई है कि हिंदू समुदाय के सदस्यों को अपने जीवन और अपने परिवारों की रक्षा के लिए अपने शहरों और घरों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है'.

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