पारित हुए 8 विधेयक, एक JPC को भेजा गया... संसद के शीतकालीन सत्र में क्या कामकाज हुआ?

संसद का शीतकालीन सत्र अब समाप्त हो गया है. इस सत्र के दौरान लोकसभा की 15 बैठकें हुईं, जिनमें राजनीतिक रूप से संवेदनशील दो विषयों पर चर्चा हुई. सदन ने आठ बिल पारित किए और एक विधेयक जेपीसी, एक विधेयक विभागीय स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिए.

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अंतिम दिन कुल मिलाकर घंटेभर भी नहीं चल सके दोनों सदन अंतिम दिन कुल मिलाकर घंटेभर भी नहीं चल सके दोनों सदन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST

संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया था. शुक्रवार को लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया. 19 दिन चले इस सत्र के दौरान 15 बैठकें हुईं. इस दौरान कुछ अहम विधेयक चर्चा और विचार के बाद पारित भी किए गए, जिनमें 20 साल पुरानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) की जगह लाया गया वीबी-जी राम जी बिल भी शामिल है.

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सरकार इसी सत्र के दौरान प्राइवेट सेक्टर के लिए नागरिक परमाणु सेक्टर खोलने से संबंधित विधेयक भी लेकर आई. शीतकालीन सत्र के दौरान कुल मिलाकर लोकसभा की बैठक 92 घंटे 25 मिनट हुई. स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही स्थगित करने का ऐलान करने से पहले कामकाज का लेखा जोखा सदन पटल पर रखा. उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता 111 प्रतिशत रही. उन्होंने देर रात तक चर्चा में सहयोग करने के लिए सदस्यों का धन्यवाद भी किया.

स्पीकर ओम बिरला जब लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान हुए कामकाज का लेखा-जोखा रख रहे थे, तब हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों ने महात्मा गांधी की जय के नारे भी लगाए. उस समय सदन में पीएम मोदी भी मौजूद थे. लोकसभा में इस सत्र के दौरान वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर और चुनाव सुधार, राजनीतिक रूप से संवेदनशील दो विषयों पर चर्चा भी हुई. राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर हुई चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी. वंदे मातरम् पर लोकसभा में 11 घंटे 32 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें 65 सदस्यों ने भाग लिया.

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इसके अलावा एक चर्चा चुनाव सुधार के मुद्दे पर भी हुई. विपक्षी दल 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की डिमांड कर रहे थे. सरकार ने साफ कहा कि चुनाव आयोग और उसके कामकाज पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती. शुरुआती दो दिन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद बीच का रास्ता निकला और सरकार के साथ विपक्ष चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए सहमत हो गए. इस मुद्दे पर लोकसभा में लगभग 13 घंटे तक चर्चा हुई, जिसमें 63 सांसदों ने हिस्सा लिया.

हालांकि, चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान भी विपक्ष का हमला एसआईआर, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून और 'वोट चोरी' के मुद्दे पर ही केंद्रित रहा. लोकसभा में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर भी चर्चा होनी थी. इस चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी को करना था, लेकिन यह बहस शुरू ही नहीं हो सकी. इस विषय पर चर्चा के लिए लोकसभा में चार घंटे का समय आवंटित किया गया था. इस विषय पर 18 दिसंबर को चर्चा होनी थी.

लोकसभा से पारित हुए आठ विधेयक

शीतकालीन सत्र के दौरान कुल आठ विधेयक पारित हुए. इनमें जी राम बिल भी शामिल है. गुरुवार को विपक्ष के भारी विरोध और कागज फाड़े जाने की घटना के बीच लोकसभा से पारित किया गया था. कड़े नियंत्रण वाले सार्वजनिक परमाणु क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने से जुड़ा बिल शांति भी पारित हुआ.

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लोकसभा ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने वाला विधेयक भी पारित किया. ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ को लोकसभा से पारित होने के एक दिन बाद राज्यसभा ने भी ध्वनिमत से पारित कर दिया था.

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लोकसभा ने शीतकालीन सत्र के दौरान 65 संशोधन अधिनियमों और छह मूल कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक भी पारित किया, जो अब अप्रासंगिक हो चुके हैं. मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025; केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 भी पारित हो गए हैं. संसद ने अनुपूरक अनुदान मांगें (प्रथम चरण), 2025-26 को भी मंजूरी दे दी.

जेपीसी और स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गए 1-1 बिल

उच्च शिक्षा नियामक की स्थापना से संबंधित ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025’ को दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया. बाजार प्रतिभूति संहिता से संबंधित एक अन्य विधेयक भी लोकसभा में पेश हुआ, जिसे स्क्रूटनी के लिए विभागीय स्थायी समिति को भेज दिया गया. इस सत्र के दौरान 300 तारांकित प्रश्न स्वीकार किए गए, जिनमें से 72 का मौखिक उत्तर दिया गया.

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कुल 3449 अतारांकित प्रश्न भी इस सत्र में स्वीकार किए गए. शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने सार्वजनिक महत्व के 408 तात्कालिक मुद्दे उठाए, जबकि नियम 377 के तहत 372 मामलों को उठाया गया. 11 दिसंबर 2025 को शून्यकाल के दौरान 150 सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दे सदन में रखे.

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