UN में पाकिस्तान के प्रस्ताव पर विदेशी मीडिया में 'भ्रामक' रिपोर्टिंग, विदेश मंत्रालय ने दिया ये जवाब

विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है. यह प्रस्ताव हर साल पाकिस्तान द्वारा पेश किया जाता है और ये मानवाधिकारों के मुद्दों पर केंद्रित होते हैं. विदेश मंत्रालय ने विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स को भ्रामक करार दिया है.

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संयुक्त राष्ट्र (File photo: Reuters) संयुक्त राष्ट्र (File photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:56 AM IST

यूनाइटेड नेशन जेनरल असेंबली में पाकिस्तान ने एक रिजॉल्यूशन पेश किया, जिसे बिना वोट के ही पारित कर दिया गया. इसको लेकर विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने स्पष्ट किया कि रिजॉल्यूशन से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पाकिस्तान हर साल जेनरल असेंबली की थर्ड कमेटी में यह वार्षिक प्रस्ताव पेश करता है. इसमें जम्मू कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है, बल्कि महिलाओं, बच्चों और शरणार्थियों जैसे मुद्दे शामिल होते हैं.

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विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह प्रस्ताव पाकिस्तान द्वारा तीसरी समिति में हर साल पेश किया जाता है. अनौपचारिक रूप से पारित होने वाले इस प्रस्ताव में जम्मू और कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने प्रस्ताव पर विदेशी मीडिया की रिपोर्टिंग को भ्रामक करार दिया है.

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पाकिस्तान के प्रस्ताव में क्या मुद्दे हैं?

प्रस्ताव का फोकस मानवाधिकारों पर है, जिसमें महिलाओं की उन्नति, बच्चों की सुरक्षा, आदिवासी मुद्दे, शरणार्थी, और मौलिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दे शामिल होते हैं. इस प्रस्ताव में खासतौर से नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव को खत्म करके व्यक्तिगत फैसले के अधिकार को बढ़ावा देने की अपील पर जोर होता है.

रिजॉल्यूशन में जम्मू-कश्मीर का जिक्र नहीं!

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यूनाइटेड नेशन में पाकिस्तान के पास एक ही बड़ा मुद्दा है - जम्मू-कश्मीर - ऐसे में भारत की किसी तरह के रिजॉल्यूशन पर पैनी नजर होती है. मसलन, अक्सर पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर टिप्पणियां करता है, जिसका जवाब भारत भी देता है. यूनाइटेड नेशन जेनरल असेंबली 193 सदस्य देशों से मिलकर बना है, जिसका हिस्सा भारत भी है और पाकिस्तान भी. ऐसे में यहां कई तरह के मुद्दों पर बहस हुआ करती है.

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विदेशी मीडिया ने चलाई फर्जी खबरें!

यूनाइटेड नेशन जेनरल असेंबली की बैठक सितंबर से दिसंबर तक के लिए होती है, और इस दौरान सभी देश अपने मुद्दे इस मंच पर रखते हैं. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने खासतौर से स्पष्ट किया कि प्रस्ताव में जम्मू कश्मीर का कोई जिक्र नहीं है, जिसको लेकर कथित रूप से विदेशी मीडिया में फर्जी खबरें चलाई जा रही थी.

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