शादी के बाद भारत में रह रहे एक पाकिस्तानी नागरिक की लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का वीजा 2005 में ही खत्म हो गया था लेकिन उसने 13 साल तक कोई कदम नहीं उठाया और 2018 में अचानक वीजा बढ़ाने की मांग कर दी.
सुनवाई में क्या हुआ?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने याचिकाकर्ता से पूछा कि पिछले 10 साल में कितनी बार पाकिस्तान गए?
इस पर जवाब आया कि कभी नहीं, 1995 से पाकिस्तान नहीं गया हूं.
CJI ने आगे कहा, 'आपका वीजा 2005 में खत्म हो गया. आप 13 साल तक चुप रहे और 2018 में आकर वीजा बढ़ाने की मांग कर दी? ये आपकी जिम्मेदारी थी कि समय पर वीजा और पासपोर्ट का नवीनीकरण कराते.'
वकील ने बताया कि 1997 में दर्ज एक FIR की वजह से पासपोर्ट और वीजा नवीनीकरण में मुश्किल आई और उनका पासपोर्ट भी 2004 में ही एक्सपायर हो गया था. उन्होंने ये भी कहा कि वे अब किसी भी देश के नागरिक नहीं रह गए हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि FIR का वीजा और पासपोर्ट रिन्यू से कोई संबंध नहीं था. FIR क्वैश होने के बाद वे संबंधित अधिकारियों से राहत मांग सकते थे.
कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि लॉन्ग टर्म वीजा बढ़ाने से इनकार करने वाला आदेश पहले ही सरकारी पोर्टल पर अपलोड हो चुका है और याचिकाकर्ता को चाहिए था कि वो उसी आदेश को चुनौती दे.अंत में अदालत ने याचिकाकर्ता को अनुमति दी कि वो ये याचिका वापस ले और संबंधित अथॉरिटी के पास जाकर 15 मई 2010 की सरकार की LTV नीति के तहत वीजा विस्तार के लिए नई याचिका दायर करे. यानी अब याचिकाकर्ता को वीजा विस्तार की लड़ाई पहली अथॉरिटी से नए सिरे से शुरू करनी होगी.
सृष्टि ओझा