पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं. पंजाब के अमृतसर में अटारी, हुसैनीवाला और सदकी सीमा पर लंबे समय से चले आ रहे रिट्रीट समारोह में भी कई बदलाव हुए हैं जिसकी झलक आज देखने को भी मिली.
अटारी रिट्रीट समारोह में यह पहली बार हुआ है कि ना ही गेट नहीं खोले गए और ना ही बीएसएफ तथा पाक रेंजर्स ने हाथ मिलाए.
इससे पहले बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर की तरफ से एक्स पर पोस्ट की गई थी जिसमें कहा गया कि हाल ही में पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले के मद्देनज़र, पंजाब स्थित अटारी, हुसैनीवाला और सदकी बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी के दौरान प्रतीकात्मक प्रदर्शन को सीमित करने का फैसला लिया गया है.
मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं:
- भारतीय गार्ड कमांडर और पाकिस्तान के समकक्ष गार्ड कमांडर के बीच होने वाली प्रतीकात्मक हैंडशेक को स्थगित कर दिया गया है.
- सेरेमनी के दौरान गेट बंद रहेंगे.
- यह कदम सीमा पार से होने वाली उकसावे की कार्रवाइयों को लेकर भारत की गंभीर चिंता को दर्शाता है और यह स्पष्ट संदेश देता है कि शांति और उकसावे साथ-साथ नहीं चल सकते.
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बार्डर बंद होने का व्यापारियों ने किया समर्थन
इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक हुई थी.जिसमें कई फैसले लिए गए.भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर पर एकीकृत चेकपोस्ट (ICP) को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है. इस फैसले से सीमा पर व्यापार प्रभावित होने की आशंका है और भारत-पाकिस्तान के बीच आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है.
अटारी बॉर्डर पर ढाबा चलाने वाले व्यापारी मंजीत सिंह ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा, ''हमारा व्यापार किसी तरह चलता रहेगा, लेकिन पहलगाम में जो हुआ, वह बहुत गलत था. सैनिकों पर हमला एक बात है, क्योंकि वे जवाब देना जानते हैं, लेकिन पर्यटकों पर हमला करना पूरी तरह गलत है. अगर हमारे व्यापार में पर्यटकों की संख्या कम होती है, तो कोई बात नहीं. हम देश के साथ हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला सही है.'
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स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यह चेकपोस्ट छोटे व्यापारियों, कारीगरों, और छोटे कारोबार के लिए अहम थी, लेकिन आतंकी हमले के बाद सुरक्षा सर्वोपरि है. बता दें कि अटारी बॉर्डर पर पहले हर सुबह लंबी कतारें लगती थीं, लेकिन अब यह मार्ग पूरी तरह बंद है. स्थानीय लोग और व्यापारी सरकार के फैसले के साथ हैं, लेकिन चिंता जताते हैं कि लंबे समय तक सीमा बंद रहने से उनकी आजीविका प्रभावित हो सकती है.
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