'जाओ मोदी को बता देना...', ऐसी धमकी देने वाले आतंकियों को भारत ने अपनी बेटियों से दिलवाया जवाब!

देश को 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में जानकारी देने के लिए महिला अधिकारियों को चुनकर, पीएम मोदी ने एक स्पष्ट संकेत दिया. यह सिर्फ सैन्य प्रतिशोध नहीं था; यह प्रतीकात्मक न्याय था. इसमें संदेश था कि भारत की महिलाएं सिर्फ आतंकवादियों द्वारा दिए गए घाव को नहीं झेलतीं- वे आतंक का निडर होकर सामना करती हैं, और आगे बढ़कर नेतृत्व करती हैं और देश के लिए  बोलती हैं. 

Advertisement
विंग कमांडर व्योमिका सिंह (L) और कर्नल सोफिया कुरैशी (R). (Photo: PTI)) विंग कमांडर व्योमिका सिंह (L) और कर्नल सोफिया कुरैशी (R). (Photo: PTI))

ऐश्वर्या पालीवाल

  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर एयरस्ट्राइक की गई. लेकिन भारत का सिर्फ यह ऑपरेशन ही सुर्खियां नहीं बना, बल्कि इंडियन आर्मी ने इस जवाबी कार्रवाई की पुष्टि के लिए जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की वह भी बहुत बड़ा संदेश देने वाला था. 

Advertisement

दुनिया ने सुनी भारतीय सेना की प्रेस ब्रीफिंग

'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम देने के बाद जब अगली सुबह भारतीय सेना ने देश को इसकी जानकारी देने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो मंच पर भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसे दो अग्रणी अधिकारी मौजूद थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेशनल ब्रीफिंग का नेतृत्व करने के लिए चुने गए ये अधिकारी सिर्फ मिशन के बारे में देश को जानकारी ही नहीं दे रहे थे बल्कि वे आतंकवाद से लड़ने की भारत की जिजीविषा और दृढ़ संकल्प का संदेश रहे थे. 

'मोदी को बता दो'- आतंकवादियों की धमकी का करारा जवाब

पहलगाम में हुए क्रूर नरसंहार के दौरान आतंकवादियों ने एक महिला को यह कहते हुए जिंदा छोड़ दिया था कि 'जाओ और मोदी को बता देना'. यह भारत और सरकार को आतंकियों की सीधी चुनौती थी कि हम तो तुम्हारे नागरिकों को मारेंगे, तुम क्या कर लोगे? आतंकियों की इस धमकी से भारत और उसका नेतृत्व डरा तो नहीं, बल्कि यह एक साहसिक निर्णय के पीछे प्रेरक शक्ति बन गया. भारत ने आतंकवादियों और उनके आकाओं को जवाब देने के लिए अपनी दो महिला सैन्य अधिकारियों को चुना.

Advertisement

यह भी पढ़ें: IPL 2025: नरेंद्र मोदी स्टेडियम को 'पाकिस्तान' ने दी बम से उड़ाने की धमकी, ऑपरेशन सिंदूर के बाद GCA को आया ईमेल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य प्रतिक्रिया के लिए व्यक्तिगत रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम चुना. यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल, 2025 को एक भयानक आतंकी हमले के बाद शुरू किया गया था जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई- इनमें से ज्यादातर पर्यटक थे. मारे गए लोगों के रोते-बिलखते परिजन और उनकी पत्नियां इस आतंकी हमले का मानवीय चेहरा बन गईं.

ऑपरेशन सिंदूर नाम में गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता है. विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा अपनी मांग में लगाया जाने वाला पवित्र सिंदूर- प्रेम, भक्ति और बलिदान का प्रतीक है. इस संदर्भ में, यह पीड़ितों के परिवारों द्वारा झेली गई गहरी व्यक्तिगत क्षति और राष्ट्र के सामूहिक दुःख को भी दर्शाता है.

प्रेस ब्रीफिंग के लिए महिला सैन्य अधिकारी ही क्यों?

देश को 'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में जानकारी देने के लिए महिला अधिकारियों को चुनकर, पीएम मोदी ने एक स्पष्ट संकेत दिया. यह सिर्फ सैन्य प्रतिशोध नहीं था; यह प्रतीकात्मक न्याय था. इसमें संदेश था कि भारत की महिलाएं सिर्फ आतंकवादियों द्वारा दिए गए घाव को नहीं झेलतीं- वे आतंक का निडर होकर सामना करती हैं, और आगे बढ़कर नेतृत्व करती हैं और देश के लिए  बोलती हैं. 

Advertisement

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक रणनीतिक सैन्य जीत नहीं है- यह दुनिया को भारत का संदेश है कि उसकी महिलाएं योद्धा हैं और कोई उन्हें डराने की कोशिश करेगा तो उसे मुंह की खानी पड़ेगी. ऐसी जगह (पाकिस्तान) जहां महिलाओं को कमजोर समझकर उन्हें टारगेट किया जाता है, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से संदेश दिया है कि उसकी महिलाएं सशक्त हैं.

यह भी पढ़ें: 'हनुमान जी के आदर्श का पालन किया, उन्हीं को मारा जिन्होंने मासूमों की जान ली', ऑपरेशन सिंदूर पर बोले राजनाथ सिंह

बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला के रूप में प्रसिद्धि पाने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी और अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट विंग कमांडर व्योमिका सिंह भारत की उभरती सैन्य शक्ति के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में सामने आईं. प्रेस ब्रीफिंग में उनकी उपस्थिति सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं थी- यह एक स्पष्ट घोषणा थी कि देश की रक्षा में महिलाएं भी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं. 

सूत्रों ने आज तक को बताया कि 22 अप्रैल के आतंकी हमले के बाद अपनी बैठकों में पीएम मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया था कि आतंकवादियों ने पुरुषों को निशाना बनाया, इस आतंकी हमले में कई महिलाओं ने अपनी आंखों के सामने अपना सुहाग उजड़ते देखा. भारत की जवाबी कार्रवाई का मकसद आतंकियों और उनके आकाओं को यह बताना था कि उन्हें अपने किए की सजा भुगतनी ही होगी. इसलिए- 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया गया. 

Advertisement

पीओके के आसमान से लेकर मीडिया की सुर्खियों तक, भारत की बेटियों ने दिखाया है कि वे जोरदार प्रहार कर सकती हैं और बुलंद अंदाज में जवाब दे सकती हैं. आतंकवादियों ने भारत की महिलाओं को डराने की कोशिश की थी- भारत ने नेतृत्व, गरिमा और ताकत के साथ इसका जवाब दिया. 

यह भी पढ़ें: 'कहां बिल में दुबककर बैठा है?' ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया पर पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर की तलाश

भारत के लिए सिंदूर सिर्फ एक शब्द नहीं

सिंदूर, एक लाल रंग का पाउडर है, जो भारतीय परंपराओं में, विशेष रूप से हिंदू विवाहित महिलाओं के बीच, गहरा सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व रखता है. सिंदूर सिर्फ सुहाग का प्रतीक ही नहीं है बल्कि शक्ति (दिव्य ऊर्जा) का प्रतिनिधित्व भी करता है. कुछ अनुष्ठानों में, विशेष रूप से बंगाल में नवरात्रि के दौरान महिलाएं सिंदूर खेला करती हैं. वे सिंदूर का उपयोग करके अपनी शक्ति और एकता का जश्न मनाती हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement